यह बात हम सभी जानते हैं कि 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन होता है। ऐसे में इस दिन अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस भी मनाया जाता है, जिसमें पूरी दुनिया शामिल होती है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर 21 जून को ही साल का सबसे बड़ा दिन क्यों होता है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
पृथ्वी का अक्षीय झुकाव (Earth's Axial Tilt)
-यह बात हम सभी जानते हैं कि हमारी पृथ्वी अपनी धुरी पर बिल्कुल सीधी नहीं घूमती है। यह अपनी कक्षा के तल से लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई है और सूरज के चारों ओर चक्कर लेती है। ऐसे में पृथ्वी का यह झकाव ही अलग-अलग मौसम का कारण बनता है।
-सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की परिक्रमा (Earth's Orbit around the Sun)
-पृथ्वी सूर्य का एक चक्करलगभग 365.25 दिनों में पूरा करती है। ऐसे में सूर्य के किरणें साल के अलग-अलग दिनों में पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग समय पर सीधी पड़ती हैं।
21 जून को बनती है ग्रीष्म संक्रांति की स्थिति
पृथ्वी के चक्कर के दौरान साल में एक बार ऐसा दिन आता है, जब पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर सबसे अधिक झुका हुआ होता है। यह आमतौर पर 21 जून को होता है। इस स्थिति में सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधे 90 डिग्री का कोण बनाते हुए पड़ती है।
क्या है सबसे लंबे दिन का कारण
उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर अधिक झुका हुआ होता है। इससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर सबसे लंबी अवधि के लिए पड़ता है। वहीं, इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सूर्य सबसे अधिक ऊंचाई पर दिखता है, जिससे एक आर्क बनता है, जिस वजह से सूर्य सबसे अधिक समय तक रोशनी प्रदान करता है।
आधिकारिक तौर पर मानी जाती है ग्रीष्मकाल की शुरुआत
आपको बता दें कि 21 जून को पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध का सूर्य की ओर से सबसे अधिक झुके होने की वजह से होने वाले परिवर्तन को देखते हुए इस दिन से ग्रीष्मकाल की शुरुआत मानी जाती है।
21 जून से घटने लगेगा दिन का समय
आपका बता दें कि 21 जून से दिन का समय घटने लगेगा और 21 सितंबर तक आते-आते दिन और रात एक बराबर हो जाएंगे। आगामी 21 सितंबर से दिन छोटे और रात लंबी होना शुरू हो जाएंगी और यह प्रक्रिया 23 दिसंबर तक चलेगी।
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