कब, क्यों और कैसे हुआ था खिलाफत आंदोलन, यहां जानें पूरा इतिहास

इतिहास उठाकर देखें, तो हमें विभिन्न आंदोलनों का जिक्र मिलता है। इसमें से एक खिलाफत आंदोलन भी है, जो कि 1919 से 1924 तक हुआ था। यह भारतीय मुसलमानों द्वारा तुर्की के खलीफा और उनके समर्थन में शुरू हुआ था।

Kishan Kumar
Jul 15, 2025, 22:43 IST
क्या था खिलाफत आंदोलन
क्या था खिलाफत आंदोलन

भारत का इतिहास उठाकर देखें, तो हमें विभिन्न आंदोलन देखने को मिलते हैं। आंदोलनों में भारतीय पृष्ठभूमि की रूपरेखा बदलने के साथ इतिहास पर गहरी छाप छोड़ी। यही वजह है कि अतीत के पन्नों में विभिन्न आंदोलन प्रमुखता से दर्ज हैं। इस कड़ी में एक आंदोलन ऐसा भी है, जिसे खिलाफत आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर यह कब, क्यों और कैसे हुआ था, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

क्या थी आंदोलन की पृष्ठभूमि

प्रथम विश्व युद्ध(1914-1918) के दौरान तुर्की का ऑटोमन साम्राज्य जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी का सहयोगी हुआ करता था। वहीं, ब्रिटेन इसके सहयोगी मित्र देश के रूप में जाना जाता था। दूसरी ओर, ओटोमन साम्राज्य का सुल्तान दुनियाभर में सुन्नी मुसलमानों का अध्यात्मिक और राजनीतिक मुखिया यानि कि खलीफा के तौर पर जाना जाता था।

युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार हुई, जिसके बाद तुर्की के मित्र राष्ट्रों द्वारा सेवर्स की संधि लगाई, जिसे बहुत ही कठोर माना जाता है, जिससे ओटोमन साम्राज्य बहुत ही छोटे-छोटे हिस्सों में बंट गया। साथ ही, खलीफा के पद को समाप्त करने की भी धमकी भी दी गई। ऐसे में भारत के मुसलमानों ने इसे खलीफा का अपमान माना और ब्रिटेन का विरोध किया।

क्या था आंदोलन का मुख्य उद्देश्य

इस फैसले से खिलाफ खिलाफत आंदोलन शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य तुर्की के खलीफा के पद को बहाल करना था। वहीं, यह बात भी रखी गई कि मुसलमानों के पवित्र स्थलों को तुर्की के खलीफा के नियंत्रण में रहने दिया जाए।

खिलाफत आंदोलन के कौन थे मुख्य नेता

खिलाफत आंदोलन के लिए मुख्य तौर पर अली बंधुओं को जाना जाता है। इनमें  मौलाना मोहम्मद अली जौहर और मौलाना शौकत अली ने आंदोलन का नेतृत्व किया था। इनके अलावा मौलाना अबुल कलाम आजाद, हकीम अजमल खान व डॉ. एम.ए. अंसारी भी इसमें शामिल रहे। 

कांग्रेस ने किया आंदोलन का समर्थन

जब खिलाफत आंदोलन हुआ, तो महात्मा गांधी ने इसे हिंदू-मुस्लिम एकता को स्थापित करने के साथ ब्रिटिश के खिलाफ आवाज उठाने के अवसर के रूप में देखा। उन्होंने खिलाफत के नेताओं को असहयोग आंदोलन का समर्थन करने के लिए कहा, जिस पर नेता राजी हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने भी खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया। इस दौरान कई लोगों ने ब्रिटिश द्वारा दिए गए सम्मान और खिताब तक लौटा दिए थे। साथ ही, ब्रिटिश उत्पादों का विरोध किया गया।

कैसे हुआ आंदोलन का अंत 

तुर्की में मुस्तफा कमाल अतातुर्क के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी आंदोलन ने 1924 में खलीफा पद को स्थायी रूप से समाप्त कर दिया था। साथ ही, तुर्की को एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया। वहीं, दूसरी तरफ 1922 में चौरी-चौरा घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया था, जिसके बाद खिलाफत आंदोलन हल्का पड़ गया।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

I did my graduation from GGSIPU University, Delhi. I started my Career from Dainik Jagran(Print) as a reporter then I switched to Amar Ujala(Print) as a Sub-Editor. I used to cover all technical universities of Delhi including; DTU, IIIT, DSEU, IGDTUW & NSUT. Currently I work for Jagran Josh(A digital wing of Dainik Jagran). Here, I create digital content for General Knowledge Section. My expertise is in General Knowledge, Creative writing, Research, Hindi & English typing.
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