उत्तर प्रदेश का वह क्षेत्र, जो नहीं रहा मुगलों के अधीन, यहां जानें

आधुनिक उत्तर प्रदेश का अधिकांश भाग गंगा के मैदानी इलाकों में बसा हुआ है। यह वह क्षेत्र है, जो प्रशासनिक रूप से मुगलों के अधिकार क्षेत्र में था या फिर उनकी सामंतवादी व्यवस्था के अधीन आता था। आपने प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के बारे में पढ़ा और सुना होगा, जहां आज भी मुगलों की बनाई इमारत देखने को मिल जाती है। हालांकि, क्या आप यूपी के उस क्षेत्र के बारे में जानते हैं, जो मुगलों के अधीन नहीं रहा है। कौन-सा है यह क्षेत्र, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

Kishan Kumar
Jul 15, 2025, 13:54 IST
यूपी का वह क्षेत्र, जो नहीं रहा मुगलों के अधीन
यूपी का वह क्षेत्र, जो नहीं रहा मुगलों के अधीन

उत्तर प्रदेश वह राज्य है, जिसका अधिकांश क्षेत्र मुगलों के अधीन रहा है। यूपी का आगरा और प्रयागराज तो सीधे मुगलों के प्रशासन के अधीन रहा है। आगरा जिले को मुगलों द्वारा राजधानी भी बनाया गया, लेकिन बाद में यह राजधानी दिल्ली स्थानांतरित हो गई।

आज का  आधुनिक उत्तर प्रदेश का अधिकांश भाग गंगा के मैदानी इलाकों में बसा हुआ है। यह यूपी का वह क्षेत्र है, जो प्रशासनिक रूप से मुगलों के अधिकार क्षेत्र में आता था या फिर यहां उनकी सामंतवादी व्यवस्था थी।

हालांकि, क्या आप जानते हैं कि यूपी के कुछ क्षेत्र ऐसे रहे हैं, जहां मुगलों का अधिकार क्षेत्र न के बराबर रहा है या फिर यहां उनका प्रभाव कम रहा है। कौन-से हैं ये क्षेत्र, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

इस क्षेत्र में नहीं रहा मुगलों का अधिक कब्जा

उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भाग की बात करें, जो कि बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है, वह क्षेत्र है, जो अधिकांश रूप से स्वायत्त रहा है। इस क्षेत्र में झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट जिले आते हैं। यहां के राजाओं ने स्वायत्तता के लिए मुगलों का विरोध किया, जिससे यहां मुगल अपना अधिक अधिकार नहीं जमा सके।

बुंदेला राजपूत शासकों ने मुगलों का किया प्रतिरोध

मुगलों द्वारा समय-समय पर बुंदेलखंड पर आक्रमण किया गया, हालांकि, बुंदेला राजपूत शासकों द्वारा मुगलों का पुरजोर विरोध किया गया। इनमें बुंदेला शासक वीर सिंह देव बुंदेला और छत्रसाल जैसे वीरों ने मुगलों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और इस क्षेत्र की स्वायत्तता को बरकार रखा।

नहीं कर पाए स्थायी नियंत्रण

बुंदेलखंड के इस क्षेत्र में लंबे समय तक संघर्ष चलता रहा। हालांकि, मुगलों द्वारा यहां कभी भी पूरी तरह से और स्थायी रूप से नियंत्रण नहीं हो सका।

तराई क्षेत्र भी मुगलों से रहा दूर

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से में आने वाला तराई और भाबर क्षेत्र, जो कि नेपाल सीमा से सटा हुआ है, मुगलों की पहुंच से दूर रहा। यहां प्रमुख रूप से पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज और कुशीनगर के कुछ हिस्से हैं, जो कि मुगलों के अधीन नहीं रहे।

यहां मुगलों को घने जंगलों और दुर्गम इलाकों की वजह से नियंत्रण करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। साथ ही, यहां की स्थानीय जनजातियां और जमींदार स्वतंत्र या अर्द्ध स्वतंत्र रूप से रहा करते थे। ऐसे में मुगलों का जितना अधिकार मैदानी इलाकों में रहा, उसकी तुलना में यहां मुगलों का बहुत ही कम प्रभाव था।

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

I did my graduation from GGSIPU University, Delhi. I started my Career from Dainik Jagran(Print) as a reporter then I switched to Amar Ujala(Print) as a Sub-Editor. I used to cover all technical universities of Delhi including; DTU, IIIT, DSEU, IGDTUW & NSUT. Currently I work for Jagran Josh(A digital wing of Dainik Jagran). Here, I create digital content for General Knowledge Section. My expertise is in General Knowledge, Creative writing, Research, Hindi & English typing.
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