भारत में हींग कहा से आते हैं?

भारतीय रसोइयों में खाने के जायके को बढ़ाने के लिए जिस हींग का इस्तेमाल किया जाता है, उसकी खेती भारत में नहीं होती है। बता दें कि भारत दूसरे देशों से हींग का आयात करता है। हींग का सबसे ज्यादा उत्पादन मुस्लिम देशों में किया जाता है। हालांकि भारत भी अब हींग की खेती में अपने पैर बढ़ा रहा है। आइए जानते हैं भारत किन देशों से हींग मंगवाता है।

Mahima Sharan
Jul 1, 2025, 18:37 IST
where does hing comes in india
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हर भारतीय घरों के खाने में हींग का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, यह खाने की स्वाद को काफी हद तक बदल देता है। इसकी खुशबू  बहुत तेज होती है और इसका इस्तेमाल केवल भारत में ही नहीं बल्कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, सऊदी अरब, अफगानिस्तान जैसे कई देशों में भी किया जाता है। बता दें कि हींग का इस्तेमाल केवल खुशबू और स्वाद बढ़ाने के ही नहीं बल्कि यह खाने को पचाने में भी मदद करता है।  हालांकि, हींग का उत्पादन भारत से ज्यादा दूसरे देशों में किया जाता है। भारत में हींग ज्यादातर दूसरे देशों से लाए जाते हैं। क्या आप जानते हैं खाने के जायके को बढ़ाने वाली हींग कहां और कैसे बनती हैं?  

भारत में हींग का उत्पादन ने केवल कम होता है, बल्कि यहां काफी कम बीज का उत्पादन होता है।  हींग की खेती के लिए बीज भी बाहर देशों से लाए जाते हैं। दुनिया भर में 50 फीसदी से ज्यादा हींग का इस्तेमाल भारतीय रसोइयों में की जाती है, हालांकि बावजूद इसके भारत 100 फीसदी हींग का आयात दूसरे देशों से किया जाता है। बता दें कि भारत में इस्तेमाल होने वाली 100 प्रतिशत हींग मुस्लिम देशों से आयात किए जाते हैं। भारत में हींग 90% अफगानिस्तान से, 8% उज्बेकिस्तान से और 2% ईरान से आयात किए जाते हैं।

हींग की उत्पादन कैसे होती है?

हींग फेरुला एसाफोटिडा नामक पौधे की जड़ से निकाले गए रस से तैयार की जाती है। हींग का उत्पादन आसान नहीं है। दरअसल, सबसे पहले फेरुला एसाफोटिडा की जड़ों से रस निकाला जाता है। इसके बाद जब पर्याप्त मात्रा में रस इकट्ठा हो जाता है तो हींग बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। हींग दो तरह की होती है- सफेद काबुली और लाल हींग। पौधे की जड़ से निकाले गए रस को छोटे-छोटे टुकड़ों में खाने योग्य गोंद और स्टार्च के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। वहीं, हींग के पौधे की जड़ से निकाले गए रस पिसे हुए चावल के साथ मिलाकर भी तैयार किए जाते हैं।

कैसे होती है हींग की खेती?

हींग उत्पादन के लिए रस निकालने वाले पौधे फेरुला एसाफोटिडा को उगने और पनपने के लिए बहुत ठंडे वातावरण की जरूरत होती है। यह अधिकतम 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान को बर्दाशत करते हैं। हींग के पौधे को तैयार होने में 4 से 5 साल का लंबा समय लगता है। वहीं, पूरी तरह से तैयार होने के बाद इसकी जड़ों से करीब 500 ग्राम हींग निकाली जा सकती है। हींग की खेती के लिए ऐसी जगह का होना जरूरी है, जहां पानी जमा न हो। कृषि विशेषज्ञों की माने तो कम नमी और बेहद ठंडे इलाकों में भी हींग के पौधे उगाए जा सकते हैं।

भारत में कहां होती है हींग की खेती?

पालमपुर में इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नॉलॉजी यानी आईएचबीटी ने दो साल के रिसर्च के बाद पाया कि पहाड़ी क्षेत्र हींग के लिए माकूल रहेंगे। सबसे पहले 2020 में हिमाचल प्रदेश में हींग के पौधे की खेती शुरू की गई। रिसर्च के दौरान आईएचबीटी के वैज्ञानिकों ने अफगानिस्तान और ईरान से हींग के बीज मंगाए। फिर करीब तीन साल की मेहनत के बाद हींग के पौधे तैयार किए गए। बता दें कि सबसे पहले हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति के सात गांव में टेस्टिंग के तौर पर सात किसानों को हींग की खेती का प्रशिक्षण सौंपा गया।  साल 2020 में करीब 11,000 फीट की ऊंचाई पर भारत में सबसे पहले हींग की खेती शुरू हुई। 

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Sub Editor

    Mahima Sharan, working as a sub-editor at Jagran Josh, has graduated with a Bachelor of Journalism and Mass Communication (BJMC). She has more than 3 years of experience working in electronic and digital media. She writes on education, current affairs, and general knowledge. She has previously worked with 'Haribhoomi' and 'Network 10' as a content writer. She can be reached at mahima.sharan@jagrannewmedia.com.

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