Jagdeep Dhankhar In Hindi: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित पत्र में स्वास्थ्य संबंधी कारणों और चिकित्सकीय सलाह का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत अपने इस्तीफे की घोषणा की है।
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स्वास्थ्य को दी प्राथमिकता
धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा —
“स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं।”
इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति को सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति भी उन्होंने आभार व्यक्त किया।
राजनीतिक सफर और बड़ी जिम्मेदारियां
जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी।
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उपराष्ट्रपति चुनाव (6 अगस्त 2022) में उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था।
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उन्हें कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले।
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उपराष्ट्रपति के रूप में वह राज्यसभा के सभापति भी थे।
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इससे पहले वह 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे।
किसान परिवार से सुप्रीम कोर्ट तक
धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से पूरी की और इसके बाद चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में पढ़ाई की। उनका चयन नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में भी हुआ था, लेकिन उन्होंने वहां जाने का विकल्प नहीं चुना। पेशे से वह सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता भी रहे।
संसद सर्वोच्चता के पैरोकार
अपने कार्यकाल के दौरान जगदीप धनखड़ ने संसद सर्वोच्चता के सिद्धांत को जोर-शोर से उठाया।
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उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ‘मौलिक संरचना सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) पर भी सवाल खड़े किए।
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कोलेजियम व्यवस्था पर उनकी तीखी टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ी प्रतिक्रियाएं दीं।
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हाल ही में उन्होंने राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों पर कार्रवाई के लिए समयसीमा तय करने वाले फैसले का खुलकर विरोध किया और अनुच्छेद 142 को ‘न्यायिक परमाणु मिसाइल’ कहकर संबोधित किया।
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