संसद सत्र के बारे में तो आपने बहुत सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं क्या होते हैं संसद सत्र? संसद के सत्र कितने प्रकार के होते हैं? क्यों बुलाए जाते हैं और इन्हें बुलाने की प्रक्रिया क्या होती है? हर साल संसद के सत्र आयोजित होते हैं और सत्र बुलाने की प्रक्रिया में केंद्रीय मंत्रिमंडल, संसदीय कार्य मंत्रालय और राष्ट्रपति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सत्र बुलाने की निर्धारित प्रक्रिया पूरी करने के बाद सत्र की तिथियों की घोषणा की जाती है ताकि सांसद उन तिथियों के अनुसार अपना कार्य-सूची तय कर सकें, क्योंकि संसद के सत्रों में सांसदों की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
क्या होता है सत्र?
भारतीय संसद का एक सत्र वह अवधि होती है जिसके दौरान सदन लगभग प्रतिदिन बिना किसी रुकावट के कार्य करने के लिए मिलता है। आमतौर पर एक वर्ष में तीन सत्र होते हैं और एक सत्र में कई बैठकों का आयोजन किया जाता है।
संसद सत्र बुलाने की प्रक्रिया क्या है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 के अनुसार, राष्ट्रपति को संसद सत्र बुलाने का अधिकार है। वहीं, राष्ट्रपति संसद सत्र को स्थगित भी कर सकते हैं। सत्र आमंत्रित करने का राष्ट्रपति का आदेश दोनों सचिवालयों को भेजा जाता है। सत्र की तिथि तय होने पर, लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय सांसदों को सत्र में उपस्थित होने के लिए सम्मन भेजते हैं। राष्ट्रपति संसद सत्र बुलाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह लेते हैं और सत्र की तिथियां और कार्यसूची संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा तय की जाती है।
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सत्र की तिथि तय होने पर, संसदीय कार्य मंत्री इसकी घोषणा करते हैं। संविधान के अनुसार, संसद का सत्र 12 महीनों में कम से कम दो बार बुलाया जाना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति दोनों सदनों की कार्यवाही का संचालन करते हैं।
संसद सत्र कितने प्रकार के होते हैं?
संसद सत्र तीन प्रकार के होते हैं, हालांकि जरूरत पड़ने पर साल में चार बार भी सत्र आमंत्रित किए जाते हैं । पहला बजट सत्र, दूसरा मानसून सत्र, तीसरा शीतकालीन सत्र और चौथा विशेष सत्र। संविधान में सत्र की कोई निश्चित तारीख तय नहीं होती है है, लेकिन नियम के अनुसार दो सत्रों के बीच छह महीने से कम का अंतराल होना चाहिए। आइए अब इनके बारे में विस्तार से जानते हैं-
क्या होता है बजट सत्र?
बजट सत्र संसद का सबसे महत्वपूर्ण सत्र होता है, जो आमतौर पर फरवरी से मई तक चलता है। इसमें सरकार वित्तीय वर्ष का केंद्रीय बजट पेश करती है। यह सत्र दो चरणों में होता है: पहला चरण बजट प्रस्तुति और सामान्य चर्चा का होता है, और दूसरा चरण विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक पर चर्चा का होता है। इस दौरान विभिन्न मंत्रालयों के लिए धन आवंटन पर चर्चा होती है। इस सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति का अभिभाषण भी होता है, जिसमें सरकार की नीतियों और योजनाओं का उल्लेख होता है। यह सत्र राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें सरकार की ओर से बजट पेश किए जाते हैं, जिसमें सभी जरूरी नीतियों पर चर्चा होती है।
क्या होता है मानसून सत्र?
मानसून सत्र आमतौर पर जुलाई से अगस्त या सितंबर तक आयोजित की जाती है। आमतौर पर मानसून सत्र में विधायी कार्यों और नीतिगत मुद्दों पर चर्चा की जाती है। इसमें विभिन्न विधेयक पेश किए जाते हैं, और चर्चाओं को असल केंद्र संसद सदस्य सरकारी नीतियों, सामाजिक मुद्दों और जनहित के मामलों पर केंद्रित होता है। संसद मानसून सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होती है। यह सत्र का मुख्य उद्देश्य कृषि, जल प्रबंधन और बुनियादी ढांचे जैसे मौसमी मुद्दों पर ध्यान देना होता है। सरकार इस दौरान नए कानून पारित करने और मौजूदा नीतियों की समीक्षा करने की कोशिस करती है।
क्या होता है शीतकालीन सत्र?
शीतकालीन सत्र नवंबर से दिसंबर तक चलता है और संसद का अंतिम प्रमुख सत्र होता है। इस सत्र में विधायी कार्य, नीति समीक्षा और जनहित के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसमें कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश और पारित किए जाते हैं। सांसद विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं। प्रश्नकाल और शून्यकाल में संसद सरकार से जवाब मांगते हैं। शीत ऋतु के कारण यह सत्र भले ही छोटा हो, लेकिन इसका महत्व कम नहीं है। शीतकालीन सत्र में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहन चर्चा होती है।
विशेष सत्र क्या है?
विशेष सत्र को किसी आपातकालीन स्थिति में बुलाया जाता है। अगर कोई मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है तो ऐसी खास परिस्थिति में संसद का विशेष सत्र बुलाया जाता है। यह सत्र राष्ट्रपति, मंत्रिमंडल की सलाह पर बुलाया जाता है।
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