1857 की क्रांति से क्यों जुड़ी है लखनऊ की रेजीडेंसी, यहां जानें इतिहास

Dec 29, 2025, 17:33 IST

भारत में उत्तर प्रदेश प्रमुख राज्यों में शामिल है। यह राज्य अपने आप में इतिहास की प्रसिद्ध घटनाओं का गवाह रहा है। इन घटनाओं में 1857 की क्रांति भी है, जिसका सीधा संबंध यहां की रेजीडेंसी से है। हालांकि, क्या आप इसके इतिहास के बारे में जानते हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

द ब्रिटिश रेजीडेंसी
द ब्रिटिश रेजीडेंसी

उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर को नवाबों का शहर भी कहा जाता है। यहां नवाबों द्वारा बनाई गई कई भव्य इमारत हैं, हालांकि इन्हीं इमारतों के बीच एक ऐसी इमारत भी है, जो नवाबों के लिए नहीं, बल्कि ब्रिटिश अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए जानी जाती थी।

इस इमारत के अवशेष आज भी लखनऊ में देखे जा सकते हैं, जिसका इतिहास 1857 की क्रांति से जुड़ा हुआ है। हालांकि, क्या आप इसके पीछे के इतिहास  बारे में जानते हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

क्या थी रेजीडेंसी 

लखनऊ में गोमती नदी के किनारे पर बनी ब्रिटिश रेजीडेंसी कई इमारतों का समूह हुआ करती थी। यहां अवध दरबार में मौजूद ब्रिटिश अधिकारी व उनके परिवार के लोग रहा करते थे। उस समय यह जगह अंग्रेजों का केंद्र मानी जाती थी।

जब अंग्रेजों ने रेजीडेंसी में ली शरण

दिल्ली में 1857 का विद्रोह भड़कने के बाद 30 मई, 1857 तक लखनऊ में भी विद्रोह भड़क गया था। इसे देखते हुए अंग्रेज और उनके परिवारों ने रेजीडेंसी में शरण ली थी। उस समय अवध के मुख्य आयुक्त हेनरी लॉरेंस हुआ करते थे। उन्होंने स्थिति को भांपते हुए पहले रसद की आपूर्ति के साथ किलेबंदी कर दी थी।

रेजीडेंसी पर किया गया हमला

विद्रोह भड़कने के बाद अवध की रानी बेगम हजरत महल और मौलवी अहमदुल्ला शाह ने रेजीडेंसी को चारों ओर से घेर लिया था। वे विद्रोह का नेतृत्त्व कर रहे थे। विद्रोहियों ने रेजीडेंसी पर तोप और बंदूकों से हमला करना शुरू कर दिया था। इससे रेजीडेंसी की दीवारें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं। इस युद्ध में विद्रोहियों द्वारा दीवारों के नीचे सुरंग बनाकर विस्फोट किया जाता था।

हेनरी लॉरेंस की हुई मृत्यु

लखनऊ विद्रोह के दौरान मुख्य आयुक्त हेनरी लॉरेंस की गोली लगने की वजह से मृत्यु हो गई थी। उनकी कब्र आज भी चर्च के पास रेजीडेंसी में बनी हुई है।

भूख और गर्मी से अंग्रेजों का हुआ था बुरा हाल

विद्रोह के दौरान कोई भी अंग्रेज रेजीडेंसी से बाहर नहीं निकल पा रहा था। वहीं, जून-जुलाई के गर्मी के दौरान स्थिति और बदतर हो गई थी। यहां अंदर इमारत में हैजा और चेचक जैसी बीमारियां फैल गई थींं।

जब कोशिश हुई विफल

ब्रिटिश परिवारों को बचाने के लिए यहां जनरल हैवलॉक और आउट्राम को भेजा गया। हालांकि, वह इस कोशिश में विफल रहे। वे अंदर फंसे परिवारों को बचाने के लिए इमारत में पहुंचे, लेकिन अंदर ही फंस गए। ऐसे में बाद में नवंबर, 1857 में कोलिन कैंपबेल को भेजा गया। उन्होंने यहां सिकंदर बाग में भयंकर युद्ध लड़ा और कई भारतीयों को मारा।

अंत में उन्होंने रेजीडेंसी में फंसे ब्रिटिश परिवारों को बाहर निकाला। इस दौरान बेगम हजरत महल नेपाल की तरफ निकल गई और उन्होंने अपना अंतिम समय वही बिताया। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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