भारत में क्यों बैन है 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल वाली गाड़ियां?

देश की राजधानी दिल्ली में 10 साल पुरानी डीजल इंजन वाली गाड़ी और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को बैन कर दिया गया है। अब इन गाड़ियों को किसी भी पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं दिए जाएंगे। इसके साथ ही इन गाड़ियों पर ऑटोमेटिक कैमरा के माध्यम से भी नजर रखा जाएगा। आइए जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है- 

Mahima Sharan
Jul 2, 2025, 18:40 IST
Vehicle Retirement Rules
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वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के नोटिस के बाद राष्ट्रीय राजधानी के पेट्रोल पंपों ने 1 जुलाई 2025 से अपना जीवनकाल (EOL) पूरा कर चुके वाहनों को ईंधन देना बंद कर दिया है। दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय के रूप में यह कदम उठाया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2014 और 2015 में आदेश दिया था कि 10 साल से पुराने डीजल वाहन और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन दिल्ली-एनसीआर में बैन कर दिए जाएंगे। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के इस फैसले को बरकरार रखा था।

किसका था कारों पर बैन लगाने का निर्णय?

भारत में 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर बैन लगाने का फैसला वायु प्रदूषण की ओर से लिया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना और स्वच्छ विकल्पों को बढ़ावा देना है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 2027 तक प्रमुख भारतीय शहरों में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।

कई सारे लोगों का यह सवाल है कि डीजल इंजन वाली कारों में ऐसा क्या है, जिसके कारण इसे बैन कर दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि डीजल इंजन वाली गाड़ियां पेंट्रोल वाली गाड़ियों की तुलना में जल्दी प्रदूषण पैदा करने वाली बन जाती है। इसका मतलब यह है कि कुछ साल चलने के बाद ही यह गाड़ियां प्रदूषण करने लगती है और यही वजह है कि डीजल इंजल वाली गाड़ियों की लाइफलाइन 10 साल और पेट्रोल इंजन वाली गाड़ियों की लाइफलाइन 15 साल होती है। इसी वजह से अपनी समय सीमा पूरी करने के बाद इन गाड़ियों को सड़क पर चलाने की अनुमति नहीं दी जाती है।

क्यों 10 और 15 सालों में खत्म हो जाती हैं कारों की समय सीमा?

आमतौर पर डीजल वाहन पेट्रोल वाहनों की तुलना में अधिक हानिकारक कण (पार्टिकुलेट मैटर) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) उत्पन्न करती हैं। प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों की कमी के कारण पुराने डीजल इंजन विशेष रूप से काफी अधिक प्रदूषक बनाते हैं। जैसे-जैसे वाहन पुराने होते जाते हैं, उनके इंजन की दक्षता कम होती जाती है और गाड़ियों की कंट्रोलिंग सिस्मट भी खराब होती जाती है, जिसके कारण वे अधिक प्रदूषण फैलाते हैं।

क्या पेट्रोल से अधिक हानिकारक है डीजल?

पेट्रोल और डीजल दोनों ही पेट्रोलियम नामक पदार्थ से प्राप्त होते हैं। पेट्रोल अधिक रिफाइंड होते हैं। जिसके कारण यह महंगा होता है और पर्यावरण के लिए कम हानिकारक माना जाता है। दूसरी ओर, डीजल कम रिफाइंड होता है और यही कारण है कि ये सस्ते होते हैं। लेकिन इसे पर्यावरण के लिए अधिक खतरनाक माना जाता है। 

डीजल कारें ज़्यादा NO2 पैदा करती हैं?

सबसे ज्यादा प्रदूषण का कारण डीजल वाली गाड़ियां होती है। डीजल कारें पेट्रोल इंजन की तुलना में ज़्यादा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) पैदा करती हैं। आंकड़ों के मुताबिक, डीजल इंजन पेट्रोल इंजन की तुलना में चार गुना ज़्यादा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और 22 गुना ज़्यादा ख़तरनाक कण पैदा करते हैं, जो इसे बेहद ख़तरनाक बनाता है। 

सख्ती से लागू किया गया नियम

दिल्ली सरकार ने इस नियम को अधिक सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है। 1 जुलाई, 2025 से दिल्ली में 10 साल से पुरानी डीजल गाड़ियां और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को तेल नहीं दिया जाएगा। चाहे इन गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन कही से भी हो, लेकिन आउट डेटेड गाड़ियों को पेट्रोल नहीं दिया जाएगा। वहीं, पेट्रोल पंपों पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर (ANPR) कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं, जिसकी मदद से इन गाड़ियों पर नजर रखी जाएगी।

स्क्रैप नीति को मिलेगा बढ़ावा

सरकार वाहन स्क्रैपेज नीति को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को स्क्रैप करने को प्रोत्साहित किया जाता है और नए और अधिक पर्यावरण के अनुकूल वाहनों की खरीद के लिए प्रोत्साहन (जैसे रोड टैक्स पर छूट) प्रदान किए जाते हैं। 15 साल से अधिक पुराने वाहन और 20 साल से अधिक पुराने निजी वाहन जो फिटनेस टेस्ट में विफल घोषित किए गए हैं, उन्हें स्क्रैप करना अनिवार्य होगा। सरकार ने पंजीकृत स्क्रैपिंग सुविधाओं का एक नेटवर्क स्थापित किया है जहाँ इन वाहनों को स्क्रैप किया जा सकता है।


Mahima Sharan
Mahima Sharan

Sub Editor

    Mahima Sharan, working as a sub-editor at Jagran Josh, has graduated with a Bachelor of Journalism and Mass Communication (BJMC). She has more than 3 years of experience working in electronic and digital media. She writes on education, current affairs, and general knowledge. She has previously worked with 'Haribhoomi' and 'Network 10' as a content writer. She can be reached at mahima.sharan@jagrannewmedia.com.

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