‘भारत का तोता’ की उपाधि इतिहास में एक ऐसे व्यक्ति को दी गई है, जिसने अपनी कविताओं और लेखनी के जरिए लोगों के दिलों को जीता।
आज हम इस लेख में बात करने वाले हैं, दिल्ली सल्तनत के प्रसिद्ध कवि, संगीतकार और विद्वान के बारे में जिसे ‘भारत का तोता’ की उपाधि का सम्मान हासिल है।
‘भारत का तोता’ भारत के इतिहास में एक उल्लेखनीय व्यक्ति को दिया जाने वाला एक अनोखा और काव्यात्मक सम्मान है। इस व्यक्ति को कविता, संगीत और संस्कृति में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है।
भारत का तोता किसे कहा जाता है
दरअसल, भारत का तोता किसी और को नहीं बल्कि दिल्ली सल्तनत काल के प्रसिद्ध कवि, संगीतकार और विद्वान अमीर खुसरो को कहा जाता है। उनका जन्म 1253 में पटियाली उत्तर प्रदेश में हुआ था, उन्हें हिंदी, फारसी और पंजाबी में कविताएं लिखना का बहुत शौक था।
वे अपनी कविताओं के जरिए भारत के प्रति अपना गहरा प्रेम व्यक्त करने के लिए जाने जाते थे। खुसरो की रचनात्मक प्रतिभा और कव्वाली, गजल और सूफी संगीत में दिए गए योगदान के लिए उन्हें याद किया जाता है।
अमीर खुसरो कौन थे
खुसरो ने कई दिल्ली सुल्तानों के दरबार में सेवा दी है, जिनमें बलबन अलाउद्दीन खिलजी और मुबारक शाह खिलजी शामिल हैं। उनके लेखन में ऐतिहासिक घटनाओं का विवरण मिलता है, जैसे खजाइन उल फुतूह और अलाउद्दीन के शासनकाल का विवरण।
खुसरो साहित्य, संगीत और सूफीवाद से अमीर थे। संस्कृति और भाषाओं की समझ ने उन्हें महान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सूफी संत अमीर खुसरो निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। सूफी संत अमीर खुजरो का खालिक-ए-बारी दुनिया का पहला मुद्रित शब्दकोश है, जिसमें फारसी और हिंदी शब्द मिलते हैं। उन्हें कव्वाली के जनक के रूप में भी नामित किया जाता है।
क्या आप जानते हैं: अमीर खुसरो एक प्रतिभाशाली संगीतकार और कवि थे। काव्य रचना के लिए फारसी उनकी पसंदीदा भाषा थी। अमीर खुसरो को अमीर की उपाधि जलाल उद्दीन फिरोज ने दी थी। तराना और त्रिवत का आविष्कार खुसरो ने किया था।
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