क्या थी स्वदेशी आंदोलन होने की वजह, जानिए इसका इतिहास

भारत में बहुत-से आंदोलन हुए हैं, जिनमें से एक स्वदेशी आंदोलन है। यह आंदोनल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा एक महत्त्वपूर्ण आंदोलन था, जो कि 1905 में शुरू हुआ था। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य भारत में बनी वस्तुओं को अपनाना और विदेशी वस्तुओं का त्याग करना था।

Kishan Kumar
Jun 18, 2025, 18:22 IST
क्या था स्वदेशी आंदोलन

क्या था स्वदेशी आंदोलन

स्वदेशी आंदोलन भारत में हुए महत्त्वपूर्ण आंदोलनों में से एक है। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्त्वपूर्ण आंदोलन है, जो कि 1905 में बंगाल विभाज के समय हुआ था। दरअसल, यह बंगाल विभाजन के विरोध में हुआ था, जिसमें स्वदेशी शब्द का अर्थ अपने देश की चीजों से जोड़ा गया था। इसके तहत भारत में बनी वस्तुओं को अपनाने और विदेश में बनी वस्तुओं को त्यागने पर जोर दिया गया था।  

क्यों हुआ था आंदोलन

बंगाल का विभाजन (1905): उस समय ब्रिटिश अधिकारी लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन (पूर्वी और पश्चिमी बंगाल में) करने का निर्णय लिया गया। इसे लेकर ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रशासनिक सुविधा का कारण बताय गया था, लेकिन भारतीय इससे सहमत नहीं थे। भारतीयों ने इसे 'बांटो और राज करो' की नीति के तहत बंगाल की राष्ट्रीय चेतना को कमजोर करने का प्रयास माना, जिसके विरोध में स्वदेशी आंदोलन की नींव पड़ी।

ब्रिटिश आर्थिक शोषण: ब्रिटिश द्वारा भारत से कच्चा माल लेकर विदेशी कारखानों में तैयार कर इसे वापस भारत में बेचा जाता था। इस वजह से भारतीय कारखानों को नुकसान पहुंच रहा था।

-बढ़ता राष्ट्रवाद: 19वीं सदी का अंत आते-आते भारत में राष्ट्रवाद की भावना भी बढ़ रही थी। ऐसे में स्वदेशी आंदोलन राष्ट्रीय चेतना और आत्मनिर्भरता के लिए एक मंच बना था। 

आंदोलन के क्या मुख्य उद्देश्य रहे

-ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार: आंदोलन के तहत ब्रिटेन में बनी वस्तु जैसेः कपड़े, चीनी व नमक आदि का बहिष्कार किया गया।

-आत्मनिर्भरता और आत्मशक्ति: इस आंदोलन के तहत भारतीयों में आत्मविश्वास व राष्ट्रीय गौरव की भावना बढ़ी।

-राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहन: ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली का बहिष्कार कर राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की गई।

-स्वराज की प्राप्ति: आपको बता दें कि यह आंदोलन अप्रत्यक्ष रूप से 'स्वराज' यानि कि स्वशासन की विचारधारा से जुड़ा हुआ था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसे "स्वराज की आत्मा" भी कहा था।

-आंदोलन के प्रमुख नेता: बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल, अरविंद घोष, सुरेंद्रनाथ बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले, सैयद हैदर रजा और चिदंबरम पिल्लई जैसे नेता इस आंदोलन में शामिल रहे। 

1908 आते-आते धीमा पड़ा आंदोलन

साल 1908 तक स्वदेशी आंदोलन थोड़ा धीमा पड़ने लगा था। वहीं, साल 1911 में बंगाल विभाजन रद्द कर दिया गया था। हालांकि, इस आंदोलन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव के लिए भारतीयों पर गहरा प्रभाव पड़ा। आंदोलन की वजह से भारतीयों में एक नई राष्ट्रीय चेतना की भावना पैदा हुई और ब्रिटिश के खिलाफ अपनी आवाज मुखर करने का साहस आया। साथ ही, इस आंदोलन से महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलनों को बल मिला, जिसने भारतीय स्वतंत्रता में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

I did my graduation from GGSIPU University, Delhi. I started my Career from Dainik Jagran(Print) as a reporter then I switched to Amar Ujala(Print) as a Sub-Editor. I used to cover all technical universities of Delhi including; DTU, IIIT, DSEU, IGDTUW & NSUT. Currently I work for Jagran Josh(A digital wing of Dainik Jagran). Here, I create digital content for General Knowledge Section. My expertise is in General Knowledge, Creative writing, Research, Hindi & English typing.
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