ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज पूरे भारत के लिए गौरव है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाकर भारत का नाम रौशन करने वाले पहले व्यक्ति है। वह एक्सिओम मिशन 4 (एक्स-4) के पायलट है, जो एक जो एक निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन है। शुभांशु शुक्ला आज केवल भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं। लेकिन, क्या आप इस कामयाब युवा के इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे उनकी क्वालिफिकेशन और योग्यता के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो चलिए आज जानते हैं कि शुभांशु शुक्ला कितने पढ़े-लिखे हैं और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत कैसे की।
कहां से हैं शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। वैसे तो उनका परिवार हरदोई जिले के संडीला कस्बे से आते हैं, लेकिन नौकरी की तलाश में उनके पिता लखनऊ आ कर बस गए। उनकी मां एक गृहिणी है।
कहां से की है शुभांशु ने पढ़ाई?
शुभांशु शुक्ला ने लखनऊ के अलीगंज सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से 2001 अपनी स्कूल शिक्षा पूरी है। इसके बाद उन्होंने 2003 में एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) ज्वाइन किया और ट्रेनिंग के दौरान ही अपनी योग्यता और क्षमता के बदौलत भारतीय वायुसेना में शामिल हो गए।
अपनी मेहनत के दम पर 17 जून 2006 को शुभांशु भारतीय वायुसेना में फाइटर जेट उड़ाने वाले दल में शामिल हो गए, जिसके बाद वह कभी पीछे मुड़कर नहीं देख और अपनी कड़ी मेहनत और कौशल के बल पर लगातार आगे बढ़ते रहे। साल 2019 में उन्हें विंग कमांडर की रैंक हासिल हुई।
मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया। 2,000 से अधिक उड़ान घंटों के साथ, उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 सहित विभिन्न प्रकार के विमान उड़ाए हैं।
एक्सिओम मिशन क्या है?
एक्सिओम-4 मिशन एक्सिओम कंपनी का चौथा ह्यूमन मिशन है, जिसे नासा और स्पेसएक्स की मदद से अंजाम दिया जाएगा। इस मिशन में एक्सिओम निजी, वाणिज्यिक स्पेसक्राफ्ट में चार अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस (ISS) भेजेगा। इस मिशन में करीब 60 से ज्यादा प्रयोग किए जाएगे, जिसकी मदद से यह पता लगाया जाएगा कि अंतरिक्ष के माहौल में इंसानों पर क्या प्रभाव पड़ता है, अंतरिक्ष में होने वाली खेती और उससे जुड़े पदार्थ को समझने की भी कोशिश की जाएगी। इस मिशन चार देशों से अंतरिक्ष यात्रियों को चुना गया है, जिसमें भारत के शुभांशु शुक्ला का नाम भी शामिल है। वहीं अन्य अंतरिक्ष यात्री अमेरिका, पोलैंड और हंगरी से है।