भारत को विविधताओं का देश भी कहा जाता है। यहां की सांस्कृतिक विरासत और अनूठी परंपराएं इसे अन्य देशों से अलग बनाती हैं। देश का समृद्ध और गौरवशाली इतिहास इसे अन्य देशों से विशेष बनाने में योगदान देता है। वहीं, भारत के शहर भी भारत को विशेष बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। क्योंकि, भारत के अलग-अलग शहरों की अपनी पहचान है।
इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि भारत में एक शहर ऐसा भी है, जिसे प्रिटिंग का शहर भी कहा जाता है। कौन-सा है यह शहर, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
क्यों दिए जाते हैं शहरों को उपनाम
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि आखिर भारत में अलग-अलग शहरों को उपनाम क्यों दिए जाते हैं। आपको बता दें कि भारत में शहरों को उपनाम उनकी विशेषताओं की वजह से दिए जाते हैं। क्योंकि, भारत में अलग-अलग शहर की अपनी विशेषता है। ऐसे में शहरों को उनके मूल नाम के अलावा उनकी विशेषताओं को लेकर उपनाम जोड़ दिए जाते हैं, जिससे एक वैश्विक पहचान बनती है। इससे शहरों को आर्थिक व सामाजिक, दोनों लाभ होता है।
भारत में प्रिंटिंग का शहर कौन-सा है
अब सवाल है कि भारत में प्रिंटिंग का शहर कौन-सा है, तो आपको बता दें कि भारत के तमिलनाडू राज्य में स्थित विरुद्युनगर जिले में शिवकासी को प्रिटिंग का शहर भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है प्रिंटिंग का शहर
साल 1950 में जब यहां पटाखा उद्योग स्थापित हो रहा था, तब पटाखों की प्रिंटिंग व पैकेजिंग के लिए यहां प्रिटिंग प्रेस की जरूरत पड़ी। इस कड़ी में यहां 1960 व 70 के दशक में बड़े पैमाने पर प्रिंटिंग प्रेस की इकाइयां स्थापित की गईं। शुरुआत में यहां लिथो प्रिंटिंग की शुरुआत हुई, लेकिन बाद में यहां डिजिटल, ऑफसेट और फ्लैक्स प्रिंटिंग उद्योग स्थापित हुआ।
कैलेंडर प्रिंटिंग के लिए भी है मशहूर
शिवकासी को कैलेंडर प्रिंटिंग के लिए भी जाना जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में छपने वाले करीब 70 फीसदी कैलेंडर शिवकासी में ही छापे जाते हैं। यहां से इन कैलेंडरों को देशभर में भेजा जाता है। वर्तमान में शिवकासी में 600 से अधिक प्रिंटिंग कंपनियों काम कर रही हैं।
शुष्क मौसम बनाता है अनुकूल परिस्थितियां
शिवकासी में होने वाला प्रिंटिंग उद्योग यहां के मौसम पर भी निर्भर करता है। क्योंकि, यहां का मौसम गर्म और शुष्क है, जिससे कागज व छपाई को सूखने में समय नहीं लगता है। इस वजह से यहां यह काम बड़े पैमाने पर चलता है।
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