दुनिया में कुल 195 देश हैं, जिनमें 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य हैं, जबकि दो देश गैर-सदस्य पर्यवेक्षक हैं। ये दो सदस्य देश वेटिकन सिटी और फिलिस्तीन हैं। दुनिया के इन सभी देशों की अपनी-अपनी मुद्रा है।
आपने भी अलग-अलग देशों की करेंसी के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी करेंसी कौन-सी है और भारत का रुपया इस करेंसी के आगे कितना मजबूत है। यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
किस देश की है सबसे महंगी करेंसी
दुनिया में सबसे महंगी करेंसी कुवैत की करेंसी है। यहां कुवैत की करेंसी को कुवैती दीनार के नाम से जाना जाता है। एक कुवैती दीनार भारतीय रुपयों में 283.25 रु के बराबर है।
कितना डॉलर का है एक कुवैती दीनार
हमें लगता है कि भारतीय मुद्रा में डॉलर में बहुत पैसा होता है। आपको बता दें कि एक कुवैती दीनार के आगे डॉलर का दाम भी कम है। 1 कुवैती दीनार डॉलर में 3.28 डॉलर के बराबर है।
कभी खाड़ी रुपया हुआ करती थी करेंसी
आपको बता दें कि कुवैत में कभी करेंसी के रूप में खाड़ी रुपया चलता था। यह मुद्रा भारतीय रुपयों के बराबर हुआ करती थी। हालांकि, साल 1961 में यहां कुवैती दीनार की शुरुआत हुई, जिसके बाद इसका बाजार मूल्य बढ़ता चला गया।
क्यों है सबसे महंगी करेंसी
विशाल तेल का भंडार
कुवैत दुनिया में सबसे बड़े तेल भंडारण वाले देशों में शामिल है। यह विभिन्न देशों में तेल का निर्यात करता है, जिससे देश को डॉलर में मुद्रा मिलती है। कुवैत सरकार को 90 फीसदी आय हिस्सा तेल से ही मिलता है, जबकि पूरे देश की जीडीपी का आधा हिस्सा तेल से प्राप्त होता है।
छोटा देश, अधिक धन
कुवैत देश की आबादी बहुत कम है। ऐसे में जब यहां बड़ी मात्रा में राजस्व प्राप्त होता है, तो यह कम आबादी में विभाजित होता है। अधिक राजस्व कम आबादी में विभाजित होने पर प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ जाती है, जिससे कुवैत दुनिया के सबसे धनी देशों में से एक बनता है।
बाहरी निवेश
कुवैत देश राजस्व के रूप में प्राप्त होने वाले धन को संपत्ति या फिर अन्य आय के साधनों में निवेश करता है, जिससे कुवैत की धन स्थिरता भी बनी रहती है। वहीं, अपनी मुद्रा का मूल्य बनाए रखने के लिए कुवैत द्वारा एक निश्चित विनिमय दर बनाया रखा जाता है।
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