गोरखपुर, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में राप्ती नदी के तट पर स्थित एक शहर है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ से 272 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यह गोरखपुर जिले, पूर्वोत्तर रेलवे जोन और गोरखपुर मंडल का प्रशासनिक मुख्यालय है। गोरखपुर का इतिहास काफी पुराना है और यह शहर हजारों शताब्दियों से महत्वपूर्ण रहा है। बात अगर गोरखपुर के नाम की करें तो इसका नाम प्रसिद्ध संत गोरखनाथ के नाम पर रखा गया है, लेकिन क्या आप गोरखपुर के पुराने नाम के बारे में जानते हैं। यह शहर काफी धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक महत्व रखता है।
उत्तर प्रदेश का इतिहास बताता है कि यह के कई शहरों का नाम को बदला गया है। इलाहाबाद के बारे में तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर का नाम भी बदला गया है वो भी एक-दो बार नहीं बल्कि पूरे 8 बार। वैसे तो गोरखपुर का वर्तमान नाम दर्शकों पुराना है, लेकिन इसके नामों के पीछे का इतिहास बहुत ही कम लोगों को मालूम है। आइए आज गोरखपुर के इतिहास और उसके नामों के बारे में जानते हैं-
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पूर्व मध्यकाल में क्या था गोरखपुर का नाम
गोरखपुर को पूर्व मध्यकाल के दौरान सरयूपार कहा जाता था। हालांकि, यह कोई आखिरी नाम नहीं था। इसके बाद भी गोरखपुर का नाम कई बार बदला जा चुका है।
हजारों साल पुराना है गोरखपुर का इतिहास
जिस तरह से वाराणसी को दुनिया के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक शहर का दर्जा दिया गया है, बिल्कुल उसी तरह गोरखपुर का इतिहास भी काफी सालों पुराना रहा है। यह 2600 साल पुराना शहर अपने अंदर कई इतिहास छिपाए हैं। हालांकि, इतने समय में इस शहर का नाम करीब 8 बार बदला जा चुका है। छठी शताब्दी में शहर को सबसे पहले नाम रामग्राम मिला था। ऐसा कहा जाता है कि भौगोलिक आपदा के कारण रामग्राम जमीन में धस गया, लेकिन आज भी यह स्थान मौजूद है। बस अंतर इस बात की है कि अब यह स्थान झील में बदल गया है, जिसे रामगढ़ ताल के नाम से जाना जाता है।
चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में बदला गया गोरखपुर का नाम
जब चंद्रगुप्त का शासन इस क्षेत्र में आया तब इसका नाम रामग्राम से बदलकर पिप्पलिवन रख दिया गया। जिसके बाद तीसरी शताब्दी से गोरखपुर रो पिप्पलिवन के नाम से जाने जाना लगा।
नौवीं शताब्दी में भी बदला शहर का नाम
नौवीं शताब्दी के दौरान गुरु गोरक्षनाथ का प्रभाव बढ़ने लगा था और तब पिप्पलिवन से बदलकर इस शहर का नाम गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर गोरक्षपुर रखा गया।
मुगलों के शासनकाल के दौरान फिर बदला नाम
मुगलों के अपने शासनकाल के दौरान एक बार नहीं बल्कि चार बार नाम बदलें गए। जौनपुर में सर्कि के शासनकाल के दौरान 13वीं शताब्दी में इसका नाम सूब-ए-सर्कियां रखा गया। वहीं, 14वीं शताब्दी के दौरान अख्तर नगर, 17वीं शताब्दी के दौरान गोरखपुर सरकार और फिर वर्ष 1659-1707 के दौरान औरंगजेब के शासन में इसका नाम मोअज्जमाबाद रखा गया।
ब्रिटिश काल में मिला वर्तमान का नाम
शहर का नाम आखिरी बार ब्रिटिश शासन के दौरान बदला गया था। ब्रिटिश काल में, मोअज्जमाबाद का नाम बदलकर गोरखपुर कर दिया गया था। आपको बता दें कि यह नाम गुरु गोरखनाथ के नाम पर रखा गया था। तब से लेकर आज तक यह शहर गोरखपुर के नाम से ही जाना जाता है। वर्तमान नाम भी 220 साल से ज़्यादा पुराना है।
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