हमारे जलाशय और झीलें दो काम करती हैं। वे न केवल पानी जमा करती हैं, बल्कि सौर ऊर्जा भी इकट्ठा करती हैं। दुनिया में बढ़ती आबादी और जमीन की कमी को देखते हुए, इनोवेटिव इंजीनियर हमारे जल निकायों की उन क्षमताओं का पता लगा रहे हैं, जिनका अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ है। फ्लोटिंग सोलर पैनल एक क्रांतिकारी समाधान है, जो ऊर्जा उद्योग पर बड़ा असर डाल रहा है।
फ्लोटिंग सोलर प्लांट शांत जल निकायों को बिजली उत्पादन के केंद्रों में बदलकर साफ ऊर्जा पैदा कर रहे हैं। वे उपलब्ध जगह का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और कीमती प्राकृतिक संसाधनों को भी बचाते हैं।
लेकिन, इस विचार में और भी बहुत कुछ है। आइए, फ्लोटिंग सोलर टेक्नोलॉजी के काम करने के तरीके को समझते हैं। हम इसके हैरान करने वाले फायदों और भारत में रिन्यूएबल एनर्जी का भविष्य तय करने वाले दूसरे प्रोजेक्ट्स के बारे में भी जानेंगे।
फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट क्या है?
फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट एक तरह का सोलर पैनल सिस्टम है। इसे एक प्लेटफॉर्म पर लगाया जाता है, जिसे जलाशय, झील या शांत पानी वाली जगह पर रखा जाता है। इन्हें जमीन पर बने सोलर फार्म के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, खासकर उन जगहों पर जहां जमीन सीमित है या महंगी है।
ये पैनल भी सोलर पैनल से बिजली बनाते हैं, लेकिन इनका एक और फायदा है। पानी की वजह से पैनल ठंडे रहते हैं, जिससे बिजली का उत्पादन बढ़ता है और पानी का वाष्पीकरण भी कम होता है।
फ्लोटिंग सोलर पैनल कैसे काम करते हैं?
फ्लोटिंग सोलर पैनल ने पारंपरिक सोलर टेक्नोलॉजी में एक बहुत ही दिलचस्प मोड़ ला दिया है। यह पानी पर आधारित परिस्थितियों की विशेष जरूरतों और संभावनाओं के अनुसार खुद को आसानी से ढाल लेता है।
हालांकि, इनके काम करने का सिद्धांत पारंपरिक सोलर पैनल जैसा ही है, लेकिन इनका डिजाइन और कामकाज पानी पर होने का फायदा उठाते हैं।
ये सोलर पैनल पानी पर तैरते हैं, इसलिए वे न केवल खाली पड़ी जगह का इस्तेमाल करते हैं, बल्कि ठंडे माहौल के कारण बेहतर प्रदर्शन भी करते हैं। इसी वजह से इन्हें रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी में एक बड़ी कामयाबी माना जा सकता है।
भारत के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट
भारत में दुनिया के कुछ सबसे इनोवेटिव फ्लोटिंग सोलर सिस्टम हैं और यह रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में सबसे आगे है। एक हरित राष्ट्र बनने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए टाटा पावर सोलर ने भारत में सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट का ऑर्डर दिया है। नीचे इन शानदार इंस्टॉलेशन और ग्रीन पावर में उनके योगदान के बारे में विस्तार से बताया गया है।
भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट कौन-सा है?
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट है। यह सोलर प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश में 260 हेक्टेयर पानी पर बनाया गया 126 MW का एक फ्लोटिंग प्रोजेक्ट है। इसमें दुनिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग इन्वर्टर प्लेटफॉर्म है। यह हर साल 204,580 MWh बिजली पैदा करता है और 173,893 टन CO₂ उत्सर्जन को कम करता है।
इसके अलावा, यह हर साल 3.25 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी बचाता है, जो कुशलता और स्थिरता के मामले में एक नया मानक स्थापित करता है।
निष्कर्ष
भारत के ओंकारेश्वर प्रोजेक्ट जैसे फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट रिन्यूएबल एनर्जी में क्रांति ला रहे हैं। जल निकायों का उपयोग करके वे जमीन की कमी की समस्या को दूर करते हैं, पैनल के ठंडा रहने से क्षमता बढ़ाते हैं और पानी का वाष्पीकरण भी कम करते हैं। 126 MW के ओंकारेश्वर प्लांट जैसे ये इनोवेटिव इंस्टॉलेशन एक टिकाऊ और हरित भविष्य की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम हैं। यह इस टेक्नोलॉजी में भारत के नेतृत्व को भी दिखाता है।
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