दुनिया में इतनी सारी जानकारी के बीच यह लेख आपको कुछ नया खोजने के लिए प्रोत्साहित करता है, चाहे वह विज्ञान, इतिहास, प्रकृति, तकनीक या इंसानी व्यवहार से जुड़ा हो।
हमारे रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी हर जानकारी को दिलचस्प बनाया गया है। इसमें कुछ चौंकाने वाले तथ्य होते हैं और कई विषयों पर बहुत रोचक जानकारी सामने आती है।
आज हम मध्यपाषाण युग के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्यों पर नजर डालेंगे। आइए, मानव इतिहास के इस अनोखे अध्याय को समझते हैं।
क्या है मध्यपाषाण युग
मध्यपाषाण युग, जिसे 'मिडिल स्टोन एज' भी कहते हैं, पुरापाषाण और नवपाषाण युग के बीच एक बड़े बदलाव का दौर था। भारत में यह युग लगभग 10,000 से 4,000 ईसा पूर्व के बीच था। यह उस समय को दिखाता है, जब बर्फीला युग खत्म हो रहा था और गरम होलोसीन युग की शुरुआत हो रही थी।
जलवायु में हो रहे बदलावों के साथ इंसानों ने भी खुद को ढाला। उन्होंने माइक्रोलिथ यानी छोटे और नुकीले पत्थर के औजार बनाए, जिससे शिकार करने और रोजमर्रा के जीवन का तरीका बदल गया।
उस समय के समाज शिकार और भोजन इकट्ठा करने पर निर्भर थे। लेकिन, उन्होंने शिकार के लिए धनुष-बाण जैसे ज्यादा बेहतर तरीके अपना लिए थे।
धीरे-धीरे इन सांस्कृतिक और तकनीकी विकासों ने शुरुआती खेती की बुनियाद रखी। इसी से आगे चलकर नवपाषाण युग की जीवनशैली की शुरुआत हुई।
मध्यपाषाण युग के बारे में मुख्य तथ्य
1. बदलाव का युग
मध्यपाषाण युग ने पुरापाषाण और नवपाषाण युग के बीच की खाई को पाटा। इस दौरान जीवनशैली और तकनीक में बदलाव के शुरुआती संकेत दिखे।
2. होलोसीन की शुरुआत
यह वह युग था, जब ठंडे प्लाइस्टोसीन युग की जगह गरम होलोसीन युग ने ले ली। इसके साथ पर्यावरण और पारिस्थितिकी में बड़े बदलाव आए।
3. माइक्रोलिथ का उदय
माइक्रोलिथ यानी छोटे पत्थर के औजार (1-5 सेमी लंबे) इस युग की पहचान बन गए। इनका इस्तेमाल शिकार करने और दूसरी चीजों को बनाने में होता था।
4. औजार बनाने की नई तकनीकें
मध्यपाषाण युग के कारीगर पंचिंग और दबाव जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करते थे। वे चल्सेडनी, चकमक पत्थर, कार्नेलियन और अगेट जैसे पत्थरों से माइक्रोलिथ बनाते थे।
5. मिश्रित औजारों का चलन
माइक्रोलिथ को अक्सर लकड़ी या हड्डी के हैंडल से जोड़ा जाता था। इससे ऐसे औजार बनते थे, जो कई तरह के कामों के लिए उपयोगी होते थे।
6. छोटे जानवरों का शिकार
लोगों ने धीरे-धीरे बड़े जानवरों की जगह छोटे जानवरों का शिकार करना शुरू कर दिया। इसके लिए वे धनुष-बाण जैसी बेहतरीन तकनीकों का इस्तेमाल करते थे।
7. हड्डी और सींग के औजारों का इस्तेमाल
मध्यपाषाण युग के लोग पत्थर के औजारों के साथ-साथ हड्डी और सींग से बने औजार भी इस्तेमाल करते थे। वे कुल्हाड़ी और गैंती जैसे बड़े पत्थर के औजारों (मैक्रोलिथ) का भी उपयोग करते थे।
8. अर्ध-घुमंतू जीवनशैली
मध्यपाषाण युग के समूह आमतौर पर एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते थे। वे अस्थायी झोपड़ियां बनाते थे और रहने के लिए गुफाओं और चट्टानों की आड़ का भी इस्तेमाल करते थे।
9. दफनाने की प्रथाएं
महादहा, दमदमा और सराय नाहर राय जैसी जगहों पर मिली कब्रों से उस दौर के सामाजिक बंधन, रीति-रिवाजों और उभरती हुई मान्यताओं का पता चलता है।
10. पूरे भारत में फैले स्थल
मध्यपाषाण युग की बस्तियां कई इलाकों में पाई जाती हैं। मध्य प्रदेश में भीमबेटका, राजस्थान में बागोर, गुजरात में लंघनाज, बिहार में पैसरा और कई अन्य जगहों पर इसके सबूत मिले हैं। यह उस संस्कृति के व्यापक फैलाव को दिखाता है।
निष्कर्ष
मध्यपाषाण युग मानव इतिहास में अनुकूलन और नवीनता का एक बहुत जरूरी चरण है। बदलती जलवायु, बेहतर होते औजारों और विकसित होती जीवनशैली के साथ, समुदायों ने संसाधनों का ज्यादा कुशलता से उपयोग करना सीख लिया। इन विकासों ने आखिरकार शुरुआती खेती को बढ़ावा दिया, जिससे नवपाषाण युग और एक जगह बसकर रहने वाले जीवन का रास्ता खुला।
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