भारत का राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा, तीन रंगों से मिलकर बना है - सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा। सफेद पट्टी के केंद्र में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र है, जिसमें 24 तीलियां हैं। केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग शांति और सच्चाई का, और हरा रंग समृद्धि और उर्वरता का। अशोक चक्र धर्म और प्रगति का प्रतीक है। इस ध्वज को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था, स्वतंत्रता से ठीक पहले। यह केवल एक कपड़ा नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र की आत्मा और पहचान है।
राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के गौरव और स्वतंत्रता का सर्वोच्च प्रतीक है। यह उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों की याद दिलाता है जिन्होंने हमें यह आजादी दिलाने के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। ध्वज संहिता के अनुसार, हमें सदैव इसका उचित सम्मान करना चाहिए। इसे कभी भी जमीन पर नहीं छूना चाहिए, न ही इसे उल्टा फहराना चाहिए। इसका सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है। जब भी हम इसे फहराते हुए देखते हैं, तो हमें गर्व और देशभक्ति की भावना से भर जाना चाहिए।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज दिवस पर छोटा भाषण: Short Speech
माननीय प्रधानाचार्य जी, आदरणीय शिक्षकगण, मेरे प्यारे सहपाठियों और उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों, आप सभी को मेरा सादर प्रणाम।
आज हम सब एक विशेष अवसर पर एकत्रित हुए हैं – अपने राष्ट्र के गौरव, पहचान और आत्मा, हमारे प्यारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का सम्मान करने के लिए। यद्यपि भारत में कोई विशिष्ट 'राष्ट्रीय ध्वज दिवस' के रूप में एक दिन समर्पित नहीं है जैसे कि अमेरिका में 14 जून को मनाया जाता है, फिर भी हमारे राष्ट्रीय पर्व जैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर हम अपने ध्वज की महिमा और महत्व को पूरे उत्साह और सम्मान के साथ मनाते हैं। इसके अतिरिक्त, 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो हमारे सैनिकों के बलिदान और उनके परिवारों के कल्याण के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक अवसर है, और इस दिन भी हमारा ध्वज केंद्रीय भूमिका में होता है।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज, जिसे 'तिरंगा' के नाम से जाना जाता है, केवल तीन रंगों का एक टुकड़ा नहीं है। यह हमारे समृद्ध इतिहास, हमारे स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों और हमारे राष्ट्र के भविष्य के सपनों का प्रतीक है। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया था, और तब से यह भारत की संप्रभुता और एकता का शाश्वत प्रतीक बना हुआ है।
इसकी बनावट और रंग प्रतीकात्मक हैं। सबसे ऊपर का केसरिया रंग साहस, बलिदान और निस्वार्थता का प्रतिनिधित्व करता है, जो हमें याद दिलाता है कि हमारे पूर्वजों ने इस भूमि को स्वतंत्र करने के लिए कितना कुछ सहा। बीच का सफेद रंग शांति, पवित्रता और सच्चाई का प्रतीक है, जो हमें शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। सबसे नीचे का हरा रंग समृद्धि, विकास और उर्वरता का प्रतिनिधित्व करता है, जो हमारे देश की कृषि प्रधान भूमि और हरे-भरे भविष्य की आकांक्षा को दर्शाता है।
सफेद पट्टी के केंद्र में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र, धर्म और न्याय का प्रतीक है। इसमें 24 तीलियां हैं, जो दिन के 24 घंटों और निरंतर प्रगति को दर्शाती हैं। यह हमें याद दिलाता है कि हमें कभी रुकना नहीं चाहिए, बल्कि हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए, सत्य और धर्म के पथ पर।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज केवल एक प्रतीक मात्र नहीं है; यह एक जीवित दस्तावेज है जो हमारे संविधान के सिद्धांतों, हमारे लोकतंत्र के मूल्यों और हमारे नागरिकों के अधिकारों को दर्शाता है। जब हम इसे फहराते हुए देखते हैं, तो हम उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने भगत सिंह, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस और सरदार पटेल जैसे महान व्यक्तित्वों के नेतृत्व में हमें आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
एक नागरिक के रूप में, हमारा यह परम कर्तव्य है कि हम अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करें और उसके गौरव को बनाए रखें। ध्वज संहिता के नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है; इसे कभी जमीन पर नहीं छूना चाहिए, न ही इसे उल्टा फहराना चाहिए, और न ही इसका अनादर करना चाहिए। यह हमारे राष्ट्र के प्रति हमारी निष्ठा और सम्मान का प्रतीक है।
आइए, हम सब यह संकल्प लें कि हम अपने तिरंगे के सम्मान में कभी कोई कमी नहीं आने देंगे। हम अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे, और अपने राष्ट्र को प्रगति और समृद्धि के नए आयामों तक ले जाएंगे।
जय हिन्द! जय भारत! वन्दे मातरम्!
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज दिवस पर विस्तृत भाषण: Long Speech
माननीय प्रधानाचार्य जी, आदरणीय शिक्षकगण, मेरे प्यारे सहपाठियों और उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों, आप सभी को मेरा सादर प्रणाम।
आज हम सब एक विशेष अवसर पर एकत्रित हुए हैं – अपने राष्ट्र के गौरव, पहचान और आत्मा, हमारे प्यारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का सम्मान करने के लिए। यद्यपि भारत में कोई विशिष्ट 'राष्ट्रीय ध्वज दिवस' के रूप में एक दिन समर्पित नहीं है जैसा कि अमेरिका में 14 जून को मनाया जाता है, फिर भी हमारे राष्ट्रीय पर्व जैसे स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) पर हम अपने ध्वज की महिमा और महत्व को पूरे उत्साह और सम्मान के साथ मनाते हैं। इसके अतिरिक्त, 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो हमारे सैनिकों के बलिदान और उनके परिवारों के कल्याण के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक अवसर है, और इस दिन भी हमारा ध्वज केंद्रीय भूमिका में होता है।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज, जिसे 'तिरंगा' के नाम से जाना जाता है, केवल तीन रंगों का एक टुकड़ा नहीं है। यह हमारे समृद्ध इतिहास, हमारे स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों और हमारे राष्ट्र के भविष्य के सपनों का प्रतीक है। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया था, और तब से यह भारत की संप्रभुता और एकता का शाश्वत प्रतीक बना हुआ है।
इसकी बनावट और रंग प्रतीकात्मक हैं। सबसे ऊपर का केसरिया रंग साहस, बलिदान और निस्वार्थता का प्रतिनिधित्व करता है, जो हमें याद दिलाता है कि हमारे पूर्वजों ने इस भूमि को स्वतंत्र करने के लिए कितना कुछ सहा। बीच का सफेद रंग शांति, पवित्रता और सच्चाई का प्रतीक है, जो हमें शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। सबसे नीचे का हरा रंग समृद्धि, विकास और उर्वरता का प्रतिनिधित्व करता है, जो हमारे देश की कृषि प्रधान भूमि और हरे-भरे भविष्य की आकांक्षा को दर्शाता है।
सफेद पट्टी के केंद्र में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र, धर्म और न्याय का प्रतीक है। इसमें 24 तीलियां हैं, जो दिन के 24 घंटों और निरंतर प्रगति को दर्शाती हैं। यह हमें याद दिलाता है कि हमें कभी रुकना नहीं चाहिए, बल्कि हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए, सत्य और धर्म के पथ पर। यह चक्र सम्राट अशोक के सारनाथ स्तंभ से लिया गया है और यह हमें यह भी सिखाता है कि जीवन गतिशीलता का नाम है; हमें हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए और ठहराव से बचना चाहिए।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज केवल एक प्रतीक मात्र नहीं है; यह एक जीवित दस्तावेज है जो हमारे संविधान के सिद्धांतों, हमारे लोकतंत्र के मूल्यों और हमारे नागरिकों के अधिकारों को दर्शाता है। जब हम इसे फहराते हुए देखते हैं, तो हम उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने भगत सिंह, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल और न जाने कितने गुमनाम नायकों के नेतृत्व में हमें आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह हमें उन सभी वीरों की याद दिलाता है जिन्होंने भारत माता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। यह ध्वज उन सभी के सपनों और बलिदानों का साकार रूप है।
एक नागरिक के रूप में, हमारा यह परम कर्तव्य है कि हम अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करें और उसके गौरव को बनाए रखें। ध्वज संहिता के नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है; इसे कभी जमीन पर नहीं छूना चाहिए, न ही इसे उल्टा फहराना चाहिए, और न ही इसका किसी भी प्रकार से अनादर करना चाहिए। यह हमारे राष्ट्र के प्रति हमारी निष्ठा और सम्मान का प्रतीक है। जब हम तिरंगे को सलाम करते हैं, तो हम वास्तव में अपने देश के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम को प्रदर्शित करते हैं।
आइए, हम सब यह संकल्प लें कि हम अपने तिरंगे के सम्मान में कभी कोई कमी नहीं आने देंगे। हम अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे, और अपने राष्ट्र को प्रगति और समृद्धि के नए आयामों तक ले जाएंगे। हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारा ध्वज हमें एकजुट करता है, हमें हमारी विविधताओं में भी एक सूत्र में पिरोता है। यह हमें सिखाता है कि हम भले ही अलग-अलग राज्यों, भाषाओं या धर्मों से हों, लेकिन हम सब सबसे पहले भारतीय हैं।
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