सिलीगुड़ी को ‘Chicken Neck’ क्यों कहा जाता है?

सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसे मुर्गी की गर्दन भी कहा जाता है, एक ऐसा संकरा रास्ता है, जो भारत को उत्तर पूर्व हिस्सों से जोड़ता है। लेकिन, क्या आप जानते है कि यह भारत के लिए कितना जरूरी है और आखिर क्यों इसे चिकन नेक के नाम से जाना जाता है? अगर नहीं तो आइए आज इस मुर्गी के गर्दन पर जरा गौर करते हैं।

Mahima Sharan
Jun 24, 2025, 18:37 IST
Chicken Neck
Chicken Neck

“चिकन नेक”, जिसे ज्यादातर सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है, भारत के पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी शहर के आसपास एक खेत है। सबसे संकरे हिस्से में 20-22 किलोमीटर लंबा यह भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक गलियारा पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों को भारत से जोड़ता है। नेपाल और बांग्लादेश गलियारे के दोनों ओर स्थित हैं और भूटान इस गलियारे के उत्तरी छोर पर स्थित है।

यह गलियारा दक्षिण-पूर्व में बांग्लादेश, उत्तर-पश्चिम में नेपाल और उत्तर में भूटान के पास स्थित है। सिक्किम और भूटान के बीच चुम्बी घाटी स्थित है, जो तिब्बती क्षेत्र का खंजर जैसा टुकड़ा है। डोलम पठार या डोकलाम त्रि-सीमा क्षेत्र का दक्षिणी छोर गलियारे में ढलान पर है।

इसे चिकन नेक क्यों कहा जाता है?

भूमि की यह पट्टी, जो कुछ स्थानों पर मुश्किल से पच्चीस किलोमीटर चौड़ी है, उत्तर पूर्व में भारत की सात बहनों को इसकी मुख्य भूमि से जोड़ती है, जिसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर कहा जाता है क्योंकि यह एक कमजोर कड़ी है, जो 20-22 किलोमीटर लंबी पट्टी है इसलिए इसे मुर्गी की गर्दन यानी चिकन नेक कहा जाता है।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर, 'जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है' जिसका मतलब एक ऐसा संकरा रास्ता जो एक मुर्गी की गर्दन की तरह पतला है और देश के भागों को आपस में जोड़ता है। भारत भी बांग्लादेश के साथ एक ऐसा ही चिकन नेक शेयर करता है जिसे हम सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से जानते हैं। यह कॉरिडोर भारत के पश्चिम बंगाल और पूरे नॉर्थ-इस्ट को जोड़ता है। यह चिकन नेक अगर भारत और 7 बहनों (Seven Sister) को आपस में जोड़ने का एक अहम लिंक है।

इतिहास:

भारत के विभाजन ने 1947-1948 में बंगाल के विभाजन (पूर्वी बंगाल में) के बाद पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के निर्माण के माध्यम से सिलीगुड़ी कॉरिडोर का निर्माण किया।

सिक्किम राज्य पहले कॉरिडोर के उत्तरी किनारे पर स्थित था, जब तक कि 1975 में सार्वजनिक रूप से आयोजित जनमत संग्रह के माध्यम से इसका भारत में अंत नहीं हो गया, जिसने भारत को सिलीगुड़ी कॉरिडोर के उत्तर में एक बफर दिया और चुम्बी घाटी के पश्चिमी हिस्से पर भारत का नियंत्रण मजबूत किया।

कहां तक है सिलीगुड़ी कॉरिडोर

सिलीगुड़ी कॉरिडोर दार्जिलिंग के जलपाईगुड़ी से लेकर पश्चिम बंगाल के तराई इलाकों तक फैला हुआ है। इस कॉरिडोर के उत्तर में हिमालय पर्वत स्थित हैं। हिमालय का कंचनजंगा पर्वत भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है।

यह कॉरिडोर कितना महत्वपूर्ण है?

यह कॉरिडोर अपने सबसे संकरे बिंदु पर केवल 27 किलोमीटर चौड़ा है, और इसकी सीमा उत्तर-पश्चिम में नेपाल और उत्तर-पूर्व में भूटान से लगती है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर का महत्व इसकी रणनीतिक स्थिति में निहित है, क्योंकि यह एकमात्र ऐसा भू-मार्ग है जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।

भारत का यह नॉर्थ इस्ट पार्ट भुटान, चीन, मयनमार और बांग्लादेश के साथ बॉडर शेयर करता है।  यह क्षेत्र तेल, गैस और खनिजों सहित प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, तथा यहां विविध जातीय और भाषाई समूह रहते हैं।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर पूर्वोत्तर राज्यों के शेष भारत के साथ आर्थिक (यह कॉरिडोर पूर्वोत्तर राज्यों और शेष भारत के व्यापार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके बीच एकमात्र रेलवे माल ढुलाई लाइन है) और राजनीतिक एकीकरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।



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Mahima Sharan

Sub Editor

    Mahima Sharan, working as a sub-editor at Jagran Josh, has graduated with a Bachelor of Journalism and Mass Communication (BJMC). She has more than 3 years of experience working in electronic and digital media. She writes on education, current affairs, and general knowledge. She has previously worked with 'Haribhoomi' and 'Network 10' as a content writer. She can be reached at mahima.sharan@jagrannewmedia.com.

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