आपने अपनी दादी या मां को कांचीपुरम, बालूचरी, चंदेरी, कातान या कश्मीरी रेशम की साड़ियां पहने हुए जरूर देखा होगा। रेशम की साड़ियों की कीमत आमतौर पर लगभग 4,000 रुपये से लेकर लाखों तक होती है। रेशम एक शानदार प्राकृतिक रेशा (फाइबर) है। यह अपनी कोमलता, चमक, मजबूती और टिकाऊपन के लिए जाना जाता है। यह मुख्य रूप से फाइब्रोइन नाम के प्रोटीन से बना होता है। इसे आमतौर पर रेशम के कीड़े बॉम्बिक्स मोरी (Bombyx mori) के लार्वा से बनाया जाता है। रेशम उत्पादन के लिए रेशम के कीड़ों को पालने की इस प्रक्रिया को रेशमकीट पालन (sericulture) कहा जाता है।
चीन, भारत और थाईलैंड सहित दुनिया के कई देश रेशम का उत्पादन करते हैं। रेशम उत्पादन में रेशम के कीड़ों के कोकून को इकट्ठा किया जाता है। फिर उनसे महीन धागे निकालकर शानदार कपड़े बनाए जाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय रेशमकीट पालन आयोग के अनुसार, चीन दुनिया में रेशम का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद भारत, उज्बेकिस्तान, थाईलैंड और ब्राजील का स्थान है। अमेरिका, इटली, जापान, भारत, फ्रांस, चीन और यूनाइटेड किंगडम।
दुनिया में रेशम उत्पादन करने वाले देशों की सूची
वर्ल्ड एटलस के अनुसार, यहां दुनिया के टॉप 7 सबसे बड़े रेशम उत्पादकों की सूची दी गई है:
रैंक | देश | रेशम उत्पादन (मीट्रिक टन में) |
1 | चीन | 146,000 |
2 | भारत | 28,708 |
3 | उज्बेकिस्तान | 1,100 |
4 | थाईलैंड | 692 |
5 | ब्राजील | 560 |
6 | वियतनाम | 420 |
7 | उत्तर कोरिया | 320 |
चीन
चीन रेशम का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। यह दुनिया के लगभग 80% रेशम का उत्पादन करता है, जो हर साल 220,000 मीट्रिक टन से ज्यादा है। यह देश अपने बहुत मुलायम और चमकीले शहतूत रेशम (mulberry silk) के लिए मशहूर है। खास तौर पर झेजियांग और जियांगसू जैसे इलाकों का रेशम बहुत प्रसिद्ध है।
चीन पारंपरिक रेशम बनाने के तरीकों के साथ-साथ रेशम के स्रोतों को विकसित करने के नए और स्मार्ट तरीकों में भी सबसे आगे है। पुराना सिल्क रोड एक बड़ा कारण था, जिसकी वजह से चीनी रेशम पूरी दुनिया में मशहूर हुआ।
भारत
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक है। इसका रेशम उद्योग इसकी संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है। यहां के बनारसी और मूगा जैसे सुंदर और अनोखे रेशम अपनी कलात्मक डिजाइन के लिए जाने जाते हैं। भारत एरी, मूगा, तसर और यहां तक कि पीस सिल्क (अहिंसा रेशम) जैसे खास तरह के रेशम बनाने के लिए भी प्रसिद्ध है। पीस सिल्क में रेशम के कीड़े को कोकून से बाहर निकलने दिया जाता है।
दुनिया का लगभग 13% रेशम, यानी 35,000 मीट्रिक टन, भारत से आता है। कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है, जिससे कई ग्रामीण परिवारों को सहारा मिलता है।
रेशम के बारे में कुछ रोचक बातें
रेशम छूने में भले ही नाजुक लगता है, लेकिन यह बहुत मजबूत होता है। समान मोटाई का रेशम का धागा स्टील के तार से भी ज्यादा मजबूत होता है। इसी मजबूती के कारण इसका इस्तेमाल पैराशूट और सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले टांकों जैसी हैरान करने वाली चीजों में भी किया गया है।
केमिकल से बने सिंथेटिक कपड़ों के विपरीत, रेशम ऊन की तरह एक प्राकृतिक प्रोटीन फाइबर है। यह मुख्य रूप से फाइब्रोइन से बना होता है, और इसमें सेरिसिन नाम का एक 'गोंद' होता है जो कोकून में धागों को एक साथ जोड़कर रखता है।
रेशम में तापमान को नियंत्रित करने का बेहतरीन गुण होता है। यह आपको सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा रख सकता है। इसी वजह से यह साल भर पहनने के लिए एक आरामदायक कपड़ा है।
रेशम प्राकृतिक रूप से हाइपोएलर्जेनिक और चिकना होता है। इसका मतलब है कि दूसरे कपड़ों की तुलना में इससे संवेदनशील त्वचा में जलन या एलर्जी होने की आशंका कम होती है।
रेशम के रेशों की बनावट एक अनोखे तिकोने प्रिज्म जैसी होती है। इस वजह से जब रोशनी इन पर पड़ती है, तो यह अलग-अलग एंगल से चमकती है। यही रेशम को उसकी खास प्राकृतिक चमक और मुलायम अहसास देता है।
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