बेंगलुरु, जिसे आज भारत की सिलिकॉन वैली के नाम से जाना जाता है, का एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना और समृद्ध इतिहास है। यह शहर अपने आईटी पार्क, स्टार्टअप और आधुनिक जीवनशैली के लिए मशहूर है, लेकिन शहर के नाम की कहानी बहुत सामान्य और दिलचस्प है। आइए, बेंगलुरु के पुराने नाम और उसकी कहानी के बारे में जानते हैं।
बेंगलुरु का पुराना नाम क्या था?
बेंगलुरु का पुराना नाम 'बेंडकालुरु' था। कन्नड़ भाषा में इसका मतलब है "उबली हुई फलियों का शहर"। यह अनोखा नाम एक स्थानीय कहानी से जुड़ा है और शहर के पुराने इतिहास को दिखाता है।
बेंडकालुरु का मतलब
कन्नड़ में 'बेंड' का मतलब है उबला हुआ और 'कालू' का मतलब है फलियां, जबकि 'उरु' का मतलब होता है कस्बा या शहर। इस तरह, बेंडकालुरु का सीधा मतलब हुआ "उबली हुई फलियों का शहर"।
नाम के पीछे की कहानी
एक मशहूर कहानी के मुताबिक, होयसल वंश के राजा वीर बल्लाल द्वितीय एक बार शिकार के दौरान जंगल में रास्ता भटक गए थे। वहां एक गरीब बूढ़ी महिला ने उनकी भूख मिटाने के लिए उन्हें उबली हुई फलियां खाने को दीं। उनकी इस दयालुता से राजा बहुत खुश हुए और उन्होंने उस महिला के सम्मान में उस जगह का नाम 'बेंडकालुरु' रख दिया।
ऐतिहासिक सबूत
'बेंगलुरु' नाम का सबसे पहला जिक्र 9वीं सदी के एक पत्थर के शिलालेख में मिलता है। यह शिलालेख आज के बेंगलुरु के पास बेगुर में मिला था। इससे यह पता चलता है कि यह शहर इस नाम से उस कहानी के पहले से ही मौजूद था।
नाम कैसे बदला
समय के साथ, भाषा और शासकों के बदलने से 'बेंडकालुरु' नाम भी धीरे-धीरे बदल गया। स्थानीय बोलचाल में आसानी के लिए यह 'बेंगलुरु' बन गया। ब्रिटिश शासन के दौरान, इस नाम को बदलकर 'Bangalore' कर दिया गया, ताकि अंग्रेजों के लिए इसका उच्चारण करना आसान हो। आखिरकार, 2014 में सरकार ने शहर की मूल कन्नड़ जड़ों और सांस्कृतिक पहचान को सम्मान देने के लिए आधिकारिक तौर पर इसका नाम वापस 'बेंगलुरु' कर दिया।
बेंगलुरु का नाम कब बदला गया?
कर्नाटक सरकार ने 1 नवंबर, 2014 को आधिकारिक तौर पर शहर का नाम बदलकर 'बेंगलुरु' कर दिया। ऐसा अपनी स्थानीय भाषा और संस्कृति को सम्मान देने के लिए किया गया। इसी के साथ मैसूर और मैंगलोर जैसे दूसरे शहरों के नाम भी बदले गए।
बेंगलुरु के पुराने नाम से जुड़े कुछ तथ्य
1.फलियों से बना बैंगलोर: इस नाम की शुरुआत एक खोए हुए राजा को दी गई उबली हुई फलियों से हुई।
2.शिलालेखों में सबसे पुराना जिक्र: बेगुर में मिले 9वीं सदी के एक पत्थर पर 'बेंगलुरु' नाम का जिक्र है।
3. अंग्रेजों द्वारा बदला गया नाम: ब्रिटिश शासन के दौरान उच्चारण में आसानी के लिए नाम बदलकर 'Bangalore' कर दिया गया।
4.नाम आधिकारिक तौर पर वापस बदला गया: 2014 में, 'बेंगलुरु' फिर से शहर का आधिकारिक नाम बन गया।
5.इतिहास और आधुनिकता का मेल:'बेंगलुरु' नाम हमें याद दिलाता है कि भारत की इस टेक राजधानी की जड़ें इतिहास में बहुत गहरी हैं।
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