भारत का कौन-सा राज्य कहलाता है जलविद्युत राजधानी, यहां जानें

2025 में अरुणाचल प्रदेश भारत की जलविद्युत राजधानी के रूप में उभरा है, जिसमें 56,000 मेगावाट की क्षमता है। कामेंग और दिबांग संयंत्र जैसी प्रमुख परियोजनाओं के साथ राज्य भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य का नेतृत्व कर रहा है। यहां जल विद्युत सिर्फ ग्रिड को शक्ति प्रदान नहीं कर रही है, बल्कि यह आर्थिक विकास और सतत विकास को भी बढ़ावा दे रही है।

Aug 4, 2025, 23:39 IST
भारत की जलविद्युत राजधानी
भारत की जलविद्युत राजधानी

जल विद्युत, जिसे जलविद्युत शक्ति के नाम से भी जाना जाता है , एक नवीकरणीय ऊर्जा है। यह नवीकरणीय ऊर्जा के सबसे पुराने और सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले रूपों में से एक है।

हाल ही में 2025 में अरुणाचल प्रदेश अपने विशाल प्राकृतिक संसाधनों और बढ़ती ऊर्जा अवसंरचना के साथ तेजी से भारत की जलविद्युत राजधानी के रूप में स्थापित हो रहा है। जल विद्युत परियोजनाओं के लिए भारत में सबसे बड़े नेटवर्क के साथ भारत अब वैश्विक स्तर पर जल विद्युत क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। इस परिवर्तन का खुलासा अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने किया है , जिन्होंने हाल ही में भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को आगे बढ़ाने के लिए राज्य की बेजोड़ क्षमता को दोहराया है।

भारत की जलविद्युत राजधानी कौन-सा राज्य है?

अरुणाचल प्रदेश भारत की जलविद्युत राजधानी है। ट्विटर पर हाल ही में एक पोस्ट में पेमा खांडू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अरुणाचल प्रदेश में अनुमानित 56,000 मेगावाट जल विद्युत क्षमता है , जिसमें अरुणाचल प्रदेश जल विद्युत क्षेत्र में देश की ऊर्जा सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा । यह आंकड़ा महज एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे के विकास और पर्यावरणीय स्थिरता की अपार संभावनाओं को दर्शाता है।

जल विद्युत क्षेत्र की क्षमता में क्या परिवर्तन हो रहे हैं?

अरुणाचल प्रदेश के जल विद्युत क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं । ये कुछ उल्लेखनीय विकास हैं, जो इस राज्य ने संभावित परिवर्तन को चिह्नित किया है  जल विद्युत क्षेत्र:

-600 मेगावाट की कामेंग जलविद्युत परियोजना पूरी हो चुकी है, जिससे राष्ट्रीय ग्रिड में पर्याप्त क्षमता जोड़ने में मदद मिलेगी।

-2,000 मेगावाट सुबनसिरी लोअर परियोजना - चालू होने के करीब, भारत की सबसे प्रतीक्षित जलविद्युत परियोजनाओं में से एक।

-2,880 मेगावाट दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना: यह परियोजना वर्तमान में निरंतर प्रगति पर है और इस परियोजना के पूरा होने के बाद यह भारत का सबसे बड़ा जलविद्युत संयंत्र बन जाएगा।

इसके अतिरिक्त, 13 और जल विद्युत परियोजनाएं 15,000 मेगावाट की संयुक्त क्षमता के साथ कार्य करने की दिशा में अग्रसर हैं तथा इन परियोजनाओं के अगले तीन वर्षों में चालू हो जाने की उम्मीद है। स्वच्छ ऊर्जा अवसंरचना की यह आगामी लहर भारत के ऊर्जा परिवर्तन में अरुणाचल प्रदेश की केंद्रीय भूमिका को दर्शाती है।

सामाजिक और आर्थिक कल्याण के उत्प्रेरक के रूप में जलविद्युत

विद्युत उत्पादन के अलावा, जल विद्युत क्षेत्र को समावेशी विकास के साधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है । अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के अनुसार :

-अरुणाचल प्रदेश को 4,171 करोड़ रुपये की मुफ्त बिजली मिलने वाली है , जिससे राज्य के आंतरिक राजस्व में वृद्धि होगी।

-735 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष निवेश किया जा रहा है, जिसका उपयोग बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और स्थायी आजीविका के लिए किया जाएगा।

-राज्य को अपने जलविद्युत उपक्रमों से 1,884 करोड़ रुपये का वार्षिक लाभांश मिलने की उम्मीद है, जो दीर्घकालिक विकास के लिए आवर्ती वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करेगा।

अरुणाचल प्रदेश सतत विकास के लिए एक मॉडल कैसे बन रहा है?

जैसा कि हम जानते हैं कि हाल ही में 2025 मेंअरुणाचल प्रदेश भारत की जल विद्युत राजधानी बन गया है। यह राज्य अब स्थिरता, लचीलेपन और समान विकास की ओर अग्रसर है ।जैसे-जैसे भारत वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के तहत स्वच्छ ऊर्जा प्रतिबद्धताओं की ओर बढ़ रहा है, जल विद्युत के क्षेत्र में अरुणाचल का नेतृत्व मानवीय चेहरे के साथ हरित विकास के लिए एक खाका के रूप में कार्य करता है।

स्वच्छ और मूल जड़ परिदृश्य से लेकर पावरहाउस तक बांधों के निर्माण के संबंध में अरुणाचल प्रदेश यह दिखा रहा है किप्राकृतिक सौंदर्य और आधुनिक प्रगति साथ-साथ चल सकते हैं। ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के समन्वय से अरुणाचल न केवल राष्ट्र को शक्ति प्रदान कर रहा है, बल्कि विकास के एक नए प्रतिमान का नेतृत्व भी कर रहा है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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