Old Name Of Kashmir: कश्मीर एक बेहद सुंदर और घूमने के नजरिये से दुनिया की सबसे सुंदर जगहों में से एक है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, बर्फ से ढकी पर्वतमालाओं, नदियों और शांत घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। इसका ऐतिहासिक बैकग्राउंड भी उतना ही समृद्ध है, जो हजारों वर्षों पुराना माना जाता है। कई कवियों, यात्रियों और इतिहासकारों ने इसकी खूबसूरती और महत्व को अपनी रचनाओं में स्थान दिया है। ठीक वैसे ही जैसे कश्मीर का सौंदर्य सबसे अलग है, वैसे ही इसके नाम के पीछे भी एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है। आइए जानते हैं कश्मीर नाम की उत्पत्ति और उससे जुड़े प्राचीन संदर्भ के बारें में।
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कश्मीर घाटी का निर्माण
कश्मीर घाटी, पश्चिमी हिमालय में स्थित बेहद आकर्षक घाटी है, जो पीर पंजाल रेंज और ग्रेट हिमालय के पश्चिमी छोर के बीच स्थित है। इसकी औसत ऊँचाई लगभग 5,350 फीट है। मान्यता है कि महर्षि कश्यप ने इस विशाल झील को सुखाकर यहाँ बसने योग्य भूमि बनाई थी। उनके सम्मान में इस भूमि को ‘कश्यपपुरा’ यानी ‘कश्यप की नगरी’ कहा जाने लगा था।
कश्मीर का प्राचीन नाम
प्राचीन काल में कश्मीर को ‘कश्यपपुरा’ (Kashyapapura) के नाम से जाना जाता था। ये नाम महर्षि कश्यप से जुड़े हैं, जो हिंदू पुराणों में एक पूज्य ऋषि माने जाते हैं। मान्यता के अनुसार, कभी कश्मीर एक विशाल झील ‘सतिसर’ से ढका हुआ था।
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कैसे बना ‘कश्मीर’ नाम?
समय के साथ-साथ जैसे-जैसे विभिन्न संस्कृतियाँ और लोग इस क्षेत्र में आए, उन्होंने अपनी भाषा और उच्चारण के अनुसार इस नाम को अपनाया और बदलते गए। उदाहरण के लिए, संस्कृत में इसे ‘कश्मीरा’ कहा गया, बाद में फ़ारसी और अरबी में इसे ‘कश्मीर’ कहा जाने लगा और अंग्रेजी में भी यही नाम ‘Kashmir’ के रूप में प्रचलित हो गया। हालाँकि नाम बदलता गया, लेकिन इसके मूल में ऋषि कश्यप की स्मृति हमेशा बनी रही।
प्राचीन ग्रंथों में कश्मीर का उल्लेख
कश्मीर का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों और कथाओं में मिलता है, जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाता है। प्रसिद्ध भारतीय महाकाव्य ‘महाभारत’ में इसे ‘कश्मीरा’ कहा गया है। 12वीं शताब्दी में कल्हण द्वारा रचित ऐतिहासिक ग्रंथ ‘राजतरंगिणी’ में भी कश्मीर के राजाओं और ऐतिहासिक घटनाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है।
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