कब, कैसे और क्यों बसाया गया था दिल्ली का कनॉट प्लेस, यह है दिलचस्प इतिहास

नई दिल्ली को हर्बट बेकर और एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया गया था। वहीं, कनॉट प्लेस को रॉबर्ट टोर रसेल ने डिजाइन किया, जो कि उस समय अंग्रेजों के लिए शॉपिंग, खाने-पीने और मनोरंजन का प्रमुख ठिकाना हुआ करता था। 

Aug 4, 2025, 14:43 IST
कनॉट प्लेस का इतिहास
कनॉट प्लेस का इतिहास

नई दिल्ली स्थित कनॉट प्लेस को दिल्ली का दिल कहा जाता है। यह वह स्थान है, जो दिन के साथ-साथ रात में भी गुलजार रहता है। युवाओं का मस्ती करने का मूड हो या फिर परिवार का घूमने-फिरने के साथ शॉपिंग और अच्छे रेस्तरां में जाने का मन हो, सभी के लिए कनॉट प्लेस पहली पसंद रहता है। यही वजह है कि कनॉट प्लेस को दिल्ली का दिल भी कहा जाता है।

हालांकि, क्या आप इसके बसने की कहानी जानते हैं, कब, क्यों और कैसे इसे बसाया गया था। इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

लंदन की तर्ज पर बसाई गई नई दिल्ली

साल 1911 में ब्रिटेन के महाराज जॉर्ज पंचम के आदेश के बाद भारत की राजधानी को कलकत्ता से बदलकर नई दिल्ली करने का फैसला किया गया। जब नई दिल्ली देश की राजधानी बनाई गई, तो उस समय मौजूदा नई दिल्ली एक जंगली इलाका हुआ करता था।

ऐसे में इसे लंदन की तर्ज पर बसाने का निर्णय लिया गया और आर्किटेक्ट सर हर्बट बेकर और एडविन लुटियंस को नई दिल्ली के डिजाइन की जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने यहां काउंसिल हाउस(संसद भवन), वायसराय हाउस(राष्ट्रपति भवन), किंग्सवे(कर्तव्यपथ) और लंदन के पिकाडिली सर्कस की तर्ज पर कनॉट प्लेस का डिजाइन तैयार किया।

कुछ किताबों में हमें इसका डिजाइन लंदन के बाथ शहर के रॉयल क्रिसेंट की तर्ज पर मिलता है, जो कि एक आधा सर्कल है।

काका नाग नाम से जाना जाता था इलाका 

आपको बता दें कि आज जिस जगह पर कनॉट प्लेस इलाका है। वह कभी काका नाग गांव के नाम से जाना जाता था। कुछ किताबों में हमें यहां माधोगंज नाम के गांव का जिक्र भी मिलता है। यह पूरा क्षेत्र जंगली हुआ करता था और यहां जंगली जानवरों का जमावड़ा रहता था।

हालांकि, नए शहर को बसाने के दौरान यहां चमचमाती सड़के, इमारतें और बड़े-बड़े भवन तैयार किए गए, तो जंगल खत्म होने के साथ यहां अंग्रेजों का जमावड़ा रहने लगा।

कैसे पड़ा कनॉट प्लेस नाम

कनॉट प्लेस का निर्माण कार्य 1929 में शुरू हुआ था, जो कि 1933 में बनकर पूरा हुआ। साल 1921 में ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्य प्रिंस ऑर्थर यानि कि ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न भारत आए। ऐसे में अंग्रेजी की इस भव्य जगह का नाम कनॉट प्लेस रखा गया। यह उस समय की एक हाई स्ट्रीट मार्केट हुआ करती थी, जहां शॉपिंग, रेस्तरां और मनोरंजन के सभी साधन मौजूद थे।

यहां जिन दुकानदारों की दुकान हुआ करती थी, वह बिल्डिंग में ही ऊपर रहा करते थे। वहीं, कनॉट प्लेस के दोनों तरफ रिंग रोड जोड़े गए थे, जो कि इसके आउटर और इनर सर्कल से कनेक्टेड थे।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

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