राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य (क्षेत्रफल के आधार पर), अपने समृद्ध विरासत, रेगिस्तानों, महलों और समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। आमतौर पर लोग राजस्थान को जैसलमेर जैसे विशाल रेतीले क्षेत्रों से जोड़ते हैं, लेकिन इस राज्य में कुछ बेहद छोटे जिले भी हैं जो क्षेत्रफल और जनसंख्या दोनों के लिहाज से सीमित हैं।
इन छोटे जिलों को जानने से राजस्थान की विविधता और प्रशासनिक संरचना को समझने में एक नई दृष्टि मिलती है। ये जिले अपने ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक विशिष्टताओं के चलते बहुत खास हैं।
कश्मीर का पुराना नाम क्या था? ये रहा सही जवाब
राजस्थान के 5 सबसे छोटे जिले (क्षेत्रफल के आधार पर):
धौलपुर (Dholpur)
क्षेत्रफल: 3,084 वर्ग किलोमीटर
पूर्वी राजस्थान में चंबल नदी के किनारे स्थित यह जिला अपनी लाल बलुआ पत्थर की खदानों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। टोंमर, मुग़ल और अंग्रेज़ शासनकाल में इसकी अहम भूमिका रही है। आकार में छोटा होने के बावजूद यह जिला कृषि के क्षेत्र में अग्रणी और उत्तर प्रदेश की सीमा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण जिला है।
दौसा (Dausa)
क्षेत्रफल: लगभग 3,432 वर्ग किलोमीटर
धूंधाड़ क्षेत्र का हिस्सा, दौसा प्राचीन मंदिरों, बावड़ियों और समृद्ध लोक परंपराओं से भरा हुआ है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह जिला हमेशा एक सांस्कृतिक केंद्र रहा है।
प्रतापगढ़ (Pratapgarh)
क्षेत्रफल: लगभग 4,117 वर्ग किलोमीटर
2008 में चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा और उदयपुर के कुछ हिस्सों को मिलाकर बना यह जिला राजस्थान के सबसे नए और छोटे जिलों में से एक है। यह दक्षिणी राजस्थान में स्थित है और यहाँ की जनजातीय संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण इसे विशेष बनाते हैं।
डूंगरपुर (Dungarpur)
क्षेत्रफल: लगभग 3,770 वर्ग किलोमीटर
‘टीलों की भूमि’ के रूप में प्रसिद्ध, डूंगरपुर अपने हरे पत्थरों, महलों और गहरी जनजातीय जड़ों के लिए जाना जाता है। इसकी ऐतिहासिक विरासत 13वीं शताब्दी तक जाती है।
राजसमंद (Rajsamand)
क्षेत्रफल: लगभग 4,550 वर्ग किलोमीटर
प्रसिद्ध राजसमंद झील के नाम पर बना यह जिला राजस्थान के प्रमुख संगमरमर उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। मंदिरों, राजस्थानी स्थापत्य कला और खनिज संसाधनों से समृद्ध यह जिला सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से अहम स्थान रखता है।
हालाँकि ये जिले आकार में छोटे हैं, लेकिन ये राजस्थान की पहचान और संस्कृति में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इन क्षेत्रों का ऐतिहासिक गौरव, लोक कला, प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक विविधता यह सिद्ध करती है कि छोटे आकार वाले क्षेत्र भी राज्य की समृद्धता और पहचान में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation