भारत का लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसके चार स्तंभ हैं। इन चार स्तंभों में सबसे पहला स्तंभ विधायिका है, जो कि जनता की इच्छाओं को कानून में बदलती है और जनप्रतिनिधियों को एकजुट करती है। विधायिका का प्रमुख भाग संसद और विधानसभा होती है। विधानसभा का प्रमुख अंग विधायक होते हैं।
विधायकों को जनता द्वारा मतदान देकर चुना जाता है, जिससे वे विधानसभा में जनता का प्रतिनिधित्व कर सके। भारत के अलग-अलग राज्यों की विधानसभाओं में विधायक हैं। हालांकि, हाल ही में भारत को अपना सबसे कम उम्र का विधायक मिला है। क्या है नाम, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
विधायक बनने के लिए कितनी है न्यूनतम उम्र
भारत में विधायक बनने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए। वहीं, वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो और राज्य मतदाता सूची में व्यक्ति का नाम होना चाहिए।
भारत की सबसे कम उम्र की विधायक कौन हैं
भारत की सबसे कम उम्र की विधायक की बात करें, तो यह बिहार की मैथिली ठाकुर बनी हैं। मैथिली ने हाल ही में बिहार विधासनभा चुनाव 2025 में जीत हासिल कर यह नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने दरंभगा जिले के अलीनगर निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की है।
कौन हैं मैथिली ठाकुर
मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई, 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में हुआ था। वह राजनीति में आने से पहले लोक गायिका के रूप में जानी जाती थीं। उन्होंने मैथिली, भोजपुरी, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में लोक गीत से लोकप्रियता हासिल की थी।
सोशल मीडिया स्टार रही हैं मैथिली
मैथिली को मुख्य रूप से अपनी पहचान बनाने में सोशल मीडिया की मदद मिली है। उन्होंने अपने भाइयों-अय्याची और ऋषभ के साथ कई प्रस्तुतियां दी हैं, जिन्हें सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा खूब सराहा गया था। इससे उनकी युवाओं और ग्रामीणों के बीच खास पहचान बनी है। मैथिली मुख्य रूप से बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
मैथिली ठाकुर का राजनीतिक सफर
मैथिली ठाकुर का राजनीतिक सफर अधिक लंबा नहीं रहा है। उन्होंने अक्टूबर 2025 में संगीत करियर को छोड़ राजनीति की राह पकड़ी और भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली। बीजेपी ने उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद के दिग्गत नेता बिनोद मिश्रा के खिलाफ अलीनगर सीट से उतारा और उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की।
ऐसे में मैथिली ठाकुर ने इस जीत के साथ भारत के सबसे कम उम्र के विधायक के तौर पर रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने अपनी जीत से यह साबित किया है कि सोशल मीडिया पर पहचान बनाकर राजनीतिक करियर भी बनाया जा सकता है।
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