भारत में कई लोग हैं, जो कि अपने नाम के साथ कुमार लगाते हैं। यह अमूमन उत्तरी भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अधिक देखने को मिलता है। हालांकि, कई बार हमें कुछ ऐसे नाम भी देखने को मिलते हैं, जिनमें कुमार शब्द नाम के बाद नहीं, बल्कि नाम से पहले लगा होता है। उदाहरण के तौर पर- कुमार विश्वास या कुमारगुप्त जैसे प्रमुख उदाहरण देखने को मिलते हैं।
हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर नाम के आगे कुमार क्यों लगाते हैं, क्या है इसके पीछे की वजह, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
पारंपरिक रूप से लगाया जाता है कुमार
भारत में कुमार शब्द नए तौर पर नाम से पहले नहीं लगाया जा रहा है, बल्कि यह पारंपरिक रूप से कई हजार वर्षों से नाम से पहले लगाया जा रहा है। इसमें सांस्कृतिक, सामाजिक और भाषाई परंपराएं भी शामिल हैं।
क्या होता है कुमार शब्द का अर्थ
अब हम कुमार शब्द के अर्थ के बारे में जान लेते हैं। संस्कृत भाषा में कुमार शब्द का अर्थ बालक, किशोर या राजकुमार से होता है। यह एक प्रकार सम्मानजनक संबोधन शब्द है, जो कि नाम के साथ इस्तेमाल होता है।
नाम से पहले क्यों लिखा जाता है कुमार
सम्मानजनक संबोधन
कुमार शब्द श्री या मास्टर की तरह एक प्रकार का शिष्टाचारवाचक शब्द है। इस शब्द का प्रयोग विशेष रूप से युवक या अविवाहित पुरुष के लिए होता है।
पारंपरिक भाषा शैली
कुमार शब्द हिंदी और संस्कृत भाषा के मिश्रण को दर्शाता है। कुमार के साथ नाम जोड़ने की शैली हजारों साल पहले भी चलन में थी, जिसमें कुमार पहले और मूल नाम बाद में पुकारा जाता था।
राजसी और धार्मिक संदर्भ
इतिहास उठाकर देखें, तो हम राजा-महाराजाओं के नाम के आगे कुमार शब्द का देखने को मिलता था। उदाहण के तौर पर- कुमार विजय या कुमार विक्रामादित्य आदि।
साहित्य शैली में प्रयोग
कुमार शब्द का इस्तेमाल भाषण, कविताओं और हिंदी के शुद्ध लेखन में होता है। इससे शैलीगत सौंदर्यता बढ़ती है। यही वजह है कि कविताओं की दुनिया में इसका प्रयोग अधिक देखने को मिलता है।
क्या है आज की स्थिति
वर्तमान में कुमार शब्द अब आगे से हटकर नाम के बीच में या नाम के अंत में पहुंच गया है। यह अब औपचारिक रूप से दस्तावेजों में इस्तेमाल होता है। कुछ मामलों में, तो यह सिर्फ नाम को पूर्ण करने के लिए इस्तेमाल होता है, जिससे नाम अधूरा न लगे।
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