ट्रेन से तो हम सभी ने सफर किया होगा और वहां का वॉशरूम भी इस्तेमाल किया होगा। हर डिब्बे के शुरुआत और आखिरी में टॉयलेट फैसिलिटी उपलब्ध होते हैं। ये तो हम सभी जानते हैं कि हर बोगी में टॉयलेट होते हैं, लेकिन क्या आपके मन में कभी ये सवाल आया है कि ट्रेन के इंजन में टॉयलेट होता है या नहीं? अगर आपको इसका जवाब नहीं पता, तो आज हम आपका बेहद दिलचस्प बात बताने वाली है। दरअसल, किसी भी ट्रेन के टॉयलेट सीट नहीं होते हैं। इंजन में केवल मेकैनिज्म सिस्टम होते हैं।
इंजन में कौन करता है सफर?
लोको पायलट के बैठने के लिए सिर्फ एक सीट होती है। इसके अलावा, इंजन में लोको पायलट के लिए कोई सुविधा नहीं होती। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इस दौरान ड्राइवर क्या करेगा? बता दें कि इंजन में शौचालय जैसी कोई सुविधा नहीं होती। अगर ड्राइवर को शौचालय जाना होता है कि उन्हें अगले स्टेशन का इंतजार करना होता है।
आमतौर पर हर ट्रेन कुछ मिनटों के बाद स्टेशनों पर रुकती है, अगर ट्रेन छोटी है तो उसका ठहराव कम से कम 1 मिनट का होता है, जबकि बड़े स्टेशनों पर बड़ी ट्रेनों का ठहराव 2 मिनट से 15 मिनट तक का होता है।
इंजन में क्यों नहीं होते हैं शौचालय
इस दौरान ड्राइवर के पास शौचालय जैसी अन्य सुविधाओं के लिए काफ़ी समय होता है। इंजन में शौचालय न होने का पहला कारण इंजन में जगह की कमी है। क्योंकि, इंजन में जगह सीमित होती है। इसमें मैकेनिज्म लगा होता है। ऐसे में जगह की भी कमी होती है।
इसके अलावा तकनीक और सुरक्षा कारण भी हैं। इसी वजह से इंजन में शुरू से ही ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होती। जिसके कारण लोको पायलट को स्टेशन आने का इंतज़ार करना पड़ता है, हालांकि स्टेशनों पर ड्राइवरों के लिए विशेष शौचालय मौजूद हैं।
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