भारत में मानूसन का प्रवेश केरल से होता है, जिसे दक्षिण-पश्चिम मानसून कहा जाता है। इसमें भी दो शाखाएं होती हैं, जिनमें अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा शामिल है।
ये दोनों शाखाएं उत्तर, पश्चिम, मध्य और पूर्वोत्तर भारत की ओर से बढ़कर अधिकांंश भारत को कवर कर लेती है। हालांकि, इसके बाद भी भारत का एक हिस्सा ऐसा है, जहां मानसून नहीं पहुंचता है।
ऐसे में क्या आप जानते हैं कि भारत के किस हिस्से में मानसून नहीं पहुंचता है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
क्या होता है दक्षिण-पश्चिम मानसून
धरती के ऊपर पर गर्मी अधिक पड़ती है, तो हवा जमीन से ऊपर उठने लगती है, जिससे Low Pressure Area बनता है। वहीं, हिंद महासागर और अरब सागर में तापमान कम होने की वजह से हाई प्रेशर एरिया बनता है।
हवाएं हमेशा हाई प्रेशर एरिया से लो प्रेशर एरिया की तरफ बढ़ती हैं। ऐसे में यहां से समुद्र के ऊपर से नमी भरी हवाएं भारतीय उपमहाद्वीप में पहुंचती हैं। ये हवाएं जब भूमध्य रेखा को पार कर लेती हैं, तो पृथ्वी के रोटेशन की वजह से लगने वाले बल कोरिओलिस बल के कारण ये अपनी दिशा बदल लेती हैं।
दक्षिणी गोलार्ध से उत्तर की ओर बहने वाली ये हवाएं अपनी दिशा बदलकर दाहिनी ओर मुड़ जाती हैं और दक्षिण-पश्चिम दिशा से भारत में प्रवेश करती हैं, जिससे इस मानसून को दक्षिण-पश्चिम मानसून कहा जाता है।
किस हिस्से में नहीं पहुंचता है मानसून
अब सवाल है कि भारत के किस हिस्से में मानसून नहीं पहुंचता है, तो आपको बता दें कि लद्दाख ऐसा क्षेत्र है, जहां मानसून नहीं पहुंचता है। यहां बहुत ही कम बारिश होती है।
क्यों नहीं पहुंचता है मानसून
लद्दाख का क्षेत्र हिमालय की वृष्टि छाया में स्थित है। यह एक ठंडा रेगिस्तान है, जिससे यहां की जलवायु बाकी जगहों से बिल्कुल अलग है। ऐसे में यहां बहुत ही कम बारिश या फिर न के बराबर बारिश होती है।
तमिलनाडू का पर्वी तट
तमिलनाडू के पूर्वी तट पर दक्षिण-पश्चिम मानसून नहीं पहुंचता है। यहां आमतौर पर सर्दी में उत्तर-पूर्वी मानसून के दौरान बारिश होती है। ऐसे में यह इलाका बारिश के लिए दक्षिण-पश्चिम मानसून के बजाय उत्तर-पूर्वी मानसून पर निर्भर है। इसी तरह पश्चिमी राजस्थान का थार मरूस्थल में भी न के बराबर बारिश होती है।
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