भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है, जो कि विविध संस्कृति, समृद्ध इतिहास और अनूठी परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। भारत में वर्तमान में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी विशेषता है।
इनमें कुछ विशेषता भौगोलिक कारणों की वजह से है, तो कुछ विशेषता यहां की रीति-रिवाज और जीवशैली से भी है। इस कड़ी में भारत में एक ऐसा राज्य भी है, जिसे ‘सोता हुआ राज्य’ भी कहा जाता है। कौन-सा है यह राज्य, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
किस राज्य को कहा जाता है ‘सोता हुआ राज्य’
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि भारत का सोता हुआ राज्य कौन-सा है, तो आपको बता दें कि भारत का सोता हुआ राज्य हिमाचल प्रदेश को कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है सोता हुआ राज्य
हिमाचल प्रदेश को सोता हुआ राज्य कहने के पीछे कई कारण हैं। इसमें यहां की जीवनशैली से लेकर प्राकृतिक वातावरण शामिल है।
जल्दी सोने और उठने की संस्कृति
हिमाचल प्रदेश के गांवों का जीवन बहुत ही सरल है। यहां लोग अपने दिन की शुरुआत अलसुबह से ही कर लेते हैं। लोग यहां सुबह जल्दी उठते हैं और अपने दैनिक कार्यों में लग जाते हैं। वहीं, शाम को अंधेरा होते-होते भोजन कर सो जाते हैं।
प्रकृति की लय के साथ चलता है जीवन
हिमाचल प्रदेश के अधिकांश लोगों का जीवन प्रकृति की लय के साथ चलता है। यहां जिस प्रकार का मौसम व दिन रहता है, वैसे ही लोगों का जीवन चलता है। लोग सूर्योदय के साथ दिन की शुरुआत करते हैं और सूर्यास्त तक अपना काम भी निपटा लेते हैं।
स्वास्थ्य को देते हैं अधिक प्राथमिकता
हिमाचल प्रदेश के लोग स्वास्थ्य को अधिक प्राथमिकता देते हैं। ऐसे में यहां आपको योग व ध्यान केंद्र मिल जाएंगे। प्रकृति की गोद में बसे इस राज्य के पहाड़ी वातावरण में कई ऐसे शांत माहौल हैं, जहां मानसिक शांति के लिए लोग पहुंचते हैं। यहां धीमी गति से चलता जीवन और शांत माहौल भी इसे सोता हुआ राज्य की उपाधि देने में मदद करते हैं।
औद्योगिकरण से दूर है हिमाचल
हिमाचल प्रदेश अन्य राज्यों की तुलना में अधिक शहरीकरण और औद्योगिकरण से दूर है। यहां रहने वाले लोग प्रमुख रूप से कृषि और पर्यटन पर निर्भर हैं। ऐसे में यहां औद्योगिकरण और शहरीकरण नहीं है, जिससे यहां भागदौड़ भरी जीवनशैली भी नहीं है। यहां लोग शांतिपूर्ण वातावरण में रहते हुए प्रकृति के साथ चलकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं।
नोटः हिमाचल प्रदेश को सोता हुआ राज्य कहने के पीछे आलस्य से मतलब नहीं है, बल्कि यह राज्य के लोगों की संतुलित, शांत और प्रकृति से जुड़ी जीवनशैली को दर्शाता है, जिससे वे किसी भागदौड़ के बिना प्रकृति की गोद में एक संतुलित जीवन जी रहे हैं।
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