प्रशांत किशोर भारत के सबसे चर्चित चुनावी रणनीतिकार और राजनीतिक सलाहकारों में से एक रहे है , लेकिन अब वह एक राजनेता के तौर पर खुद को बिहार की राजनीति में पेश कर दिया है. एक समय यूनाइटेड नेशंस में पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ के तौर पर काम कर चुके किशोर जन सुराज के गठन के साथ अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में लगे हुए है। इससे पहले चुनावी रणनीतिकार के तौर पर उनके अभियान और रणनीति ने कई बड़े नेताओं और दलों को सत्ता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आइए देखते हैं प्रशांत किशोर का सफर और उनकी प्रमुख उपलब्धियां.
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PM मोदी के लिए ऐतिहासिक अभियान:
प्रशांत किशोर ने अपनी पहली बड़ी पहचान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 2012 विधानसभा चुनाव में प्रचार कर बनाई। इसके बाद उन्होंने सिटिज़न्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) नाम से एक ग्रुप बनाया, जिसने 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत दिलाने में मदद की। उनके खास कैंपेन जैसे ‘चाय पर चर्चा’, 3D रैलियां, रन फॉर यूनिटी और सोशल मीडिया प्रोग्राम्स ने बीजेपी के सफर को नया आयाम दिया।
कितने पढ़े-लिखे हैं प्रशांत किशोर:
प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ था। बाद में उनके पिता की पोस्टिंग बक्सर में हुई, जहां वे डॉक्टर के रूप में कार्यरत थे। प्रशांत किशोर ने अपनी शुरुआती स्कूली पढ़ाई भी बक्सर में ही पूरी की।
10वीं के बाद उन्होंने करीब दो साल पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने पटना साइंस कॉलेज में दाखिला लिया। उनकी गणित में अच्छी पकड़ थी, इसलिए परिवार चाहता था कि वे IIT में जाकर इंजीनियर बनें, लेकिन प्रशांत की इसमें रुचि नहीं थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में सांख्यिकी (Statistics) विषय लिया, लेकिन तबियत खराब होने के कारण ग्रेजुएशन बीच में ही छोड़कर घर लौटना पड़ा।
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दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई अधूरी रहने के बाद उन्होंने लखनऊ और फिर हैदराबाद जाकर अपनी ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद प्रशांत किशोर ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के साथ काम किया, जहां उन्होंने अलग-अलग पदों पर देश-विदेश में सेवाएं दीं।
कैसे बने एक सफल चुनावी रणनीतिकार
साल 2014 के बाद किशोर ने CAG को इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) में बदल दिया। इसके जरिए उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने में मदद की। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए 2017 में चुनावी रणनीति बनाई और आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP के साथ काम किया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने रणनीति बनाई, जिसमें पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीतीं।
साल 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर को तृणमूल कांग्रेस (TMC) का रणनीतिकार बनाया गया। उनकी रणनीति से ममता बनर्जी ने सत्ता में शानदार वापसी की। इसी साल तमिलनाडु में DMK प्रमुख एम. के. स्टालिन ने भी किशोर को पार्टी रणनीतिकार बनाया और चुनाव में 159 सीटें जीतकर पहली बार मुख्यमंत्री बने।
राजनीतिक सफर
साल 2018 में किशोर ने जनता दल (यूनाइटेड) जॉइन किया लेकिन नागरिकता संशोधन कानून पर नीतीश कुमार की नीति की आलोचना करने पर उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। मार्च 2021 में अमरिंदर सिंह ने उन्हें अपना प्रधान सलाहकार नियुक्त किया, जहां उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला और वे महज 1 रुपये सैलरी पर काम कर रहे थे।
जन सुराज का गठन
जन सुराज बिहार में प्रशांत किशोर द्वारा शुरू की गई एक राजनीतिक आंदोलन और पार्टी है, जो इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में NDA और महागठबंधन से मुकाबला करने को तैयार है.
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