महाराष्ट्र भारत में काजू का सबसे बड़ा उत्पादक है। राज्य के तटीय जिलों में काजू की खेती के लिए आदर्श माहौल है, जहां ऊंचा तापमान, रेतीली मिट्टी और भरपूर धूप मिलती है। महाराष्ट्र ने खेती की बेहतर तकनीकों और बागानों का विस्तार करके अपने उत्पादन को लगातार बढ़ाया है।
भारत में काजू का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन-सा है?
काजू उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र भारत में सबसे आगे है, खासकर सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी और कोल्हापुर जैसे जिलों में काजू की अधिक खेती होती है। कोंकण की अनुकूल जलवायु और प्रोसेसिंग व निर्यात यूनिटों को मिलने वाली सरकारी मदद ने इस राज्य को आगे बढ़ने में मदद की है। इसके कारण यह कच्चे काजू और काजू की गिरी जैसे वैल्यू-एडेड उत्पादों, दोनों के उत्पादन में एक प्रमुख राज्य बन गया है।
महाराष्ट्र कितना काजू पैदा करता है?
महाराष्ट्र हर साल 2,50,000 मीट्रिक टन से ज्यादा कच्चे काजू का उत्पादन करता है। यह भारत के कुल उत्पादन का लगभग 20% है। राज्य में एक मजबूत काजू प्रोसेसिंग उद्योग भी है, जो उत्पादों की वैल्यू बढ़ाता है और ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा करता है।
भारत के 5 सबसे बड़े काजू उत्पादक राज्य
रैंक | राज्य | सालाना उत्पादन (मीट्रिक टन में) |
1 | महाराष्ट्र | 250,000+ |
2 | आंध्र प्रदेश | 210,000 |
3 | ओडिशा | 195,000 |
4 | केरल | 95,000 |
5 | तमिलनाडु | 65,000 |
ध्यान दें: यह डेटा एपीडा (APEDA) और कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट (2023–2024) से लिया गया है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र भारत का प्रमुख काजू उत्पादक राज्य है। यहां की अनुकूल जलवायु के कारण कोंकण क्षेत्र का इसमें बहुत बड़ा योगदान है। राज्य ने ज्यादा उपज देने वाली किस्मों और ग्राफ्टिंग की आधुनिक तकनीकों को अपनाया है। यहां काजू की खेती को कृषि-पर्यटन से भी जोड़ा जा रहा है, जिससे स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर है। यहां मुख्य रूप से श्रीकाकुलम और विशाखापत्तनम जिलों में काजू का उत्पादन होता है। राज्य खेती का क्षेत्र बढ़ाने और उत्पादकता में सुधार पर जोर दे रहा है। यहां प्रोसेसिंग और निर्यात के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा भी है, जो इसे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक अहम खिलाड़ी बनाता है।
ओडिसा
ओडिसा भी एक प्रमुख काजू उत्पादक है, खासकर गंजम, कोरापुट और रायगड़ा जिलों में अधिक काजू होता है। यहां काजू की खेती आदिवासी लोगों की आजीविका और जंगल पर आधारित खेती से गहराई से जुड़ी हुई है। सरकार समुदाय-आधारित मॉडल के जरिए टिकाऊ खेती को बढ़ावा दे रही है और पैदावार सुधारने में मदद कर रही है।
केरल
हालांकि, अब केरल उत्पादन में सबसे आगे नहीं है, लेकिन यह आज भी काजू की प्रोसेसिंग और निर्यात का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है। कोल्लम को “दुनिया की काजू राजधानी” के रूप में जाना जाता है, जहां कई पारंपरिक प्रोसेसिंग यूनिट हैं। अच्छी क्वालिटी वाली काजू की गिरी के उत्पादन के कारण दुनिया भर में इस राज्य का महत्त्व आज भी बना हुआ है।
तमिलनाडु
इस सूची में तमिलनाडु पांचवें स्थान पर है। यहां मुख्य रूप से कुड्डालोर, विल्लुपुरम और शिवगंगा जिलों में काजू की खेती होती है। यह राज्य जैविक तरीकों, क्वालिटी ग्रेडिंग और निर्यात की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करता है। इस रणनीतिक दृष्टिकोण के कारण भारत के काजू क्षेत्र में इसकी एक मजबूत उपस्थिति बनी हुई है।
किन अन्य राज्यों में काजू उगाया जाता है?
काजू उगाने वाले अन्य राज्यों में कर्नाटक, गोवा, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। ये क्षेत्र उभरते हुए उत्पादक हैं और भारत के बढ़ते घरेलू और निर्यात बाजारों में योगदान दे रहे हैं।
काजू के बारे में कुछ रोचक तथ्य
-काजू असल में बीज होते हैं, नट नहीं। वे काजू के फल के निचले हिस्से में उगते हैं और प्रोसेसिंग से पहले उन्हें हाथ से निकाला जाता है।
-काजू के छिलकों में यूरुशिओल (urushiol) नाम का एक पदार्थ होता है। यह वही पदार्थ है, जो पॉइजन आइवी (poison ivy) नाम के पौधे में पाया जाता है। यही कारण है कि काजू कभी भी छिलके के साथ नहीं बेचे जाते।
-गोवा में काजू के फल को फर्मेंट करके एक स्थानीय शराब बनाई जाती है, जिसे फेनी कहते हैं। इसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग भी मिला हुआ है।
-भारत काजू की गिरी के सबसे बड़े उत्पादकों और निर्यातकों में से एक है। यह अमेरिका, यूरोप और मध्य-पूर्व जैसे बाजारों में काजू की सप्लाई करता है।
-काजू की कटाई और छिलका उतारने में बहुत ज्यादा मेहनत लगती है। इस काम से भारत के ग्रामीण इलाकों में हजारों महिलाओं को आजीविका मिलती है।
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