दिल्ली को देश का दिल कहा जाता है, जहां की गली-गली इतिहास से भरी हुई है। भारत का यह शहर 7 बार बसा और 7 बार उजड़ा है। ऐसे में यहां का गौरवशाली इतिहास आज भी अतीत के पन्नों से लोगों की जुबां पर रहता है और दिल्ली आने वाला हर शख्स यहां बीते कल की तस्वीर को करीब से देखने की चाह रखता है।
इस कड़ी में आपने भी दिल्ली के अलग-अलग दरवाजों के बारे में पढ़ा और सुना होगा, जिसमें कश्मीरी गेट, लाहौरी गेट, तुर्कमान गेट और अजमेरी गेट सहित अन्य गेट शामिल हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में एक कलकत्ता गेट भी है। दिल्ली में कहां है यह गेट और क्या है इसका इतिहास, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
दिल्ली में कहां है कलकत्ता गेट
दिल्ली में यदि आप यमुना बाजार से लाल किले की तरफ आगे बढ़ेंगे, तो बाएं तरफ एक रास्ता निकलता है। यह रास्ता कलकत्ता गेट की तरफ जाता है। आज भी इस गेट को देखा जा सकता है, जिसके ऊपर कलकत्ता गेट की नेम प्लेट भी लगी हुई है।
कब हुआ था कलकत्ता गेट का निर्माण
कलकत्ता गेट का निर्माण 1852 में ब्रिटिश द्वारा किया गया था। यह गेट लाल किले के पीछे यमुना नदी की ओर खुलता है। कहा जाता है कि संभवतः एक समय में यह दिल्ली से कलकत्ता जाने के लिए प्रमुख मार्ग हुआ करता था। वहीं, समय आगे बढ़ने पर पुरानी दिल्ली जाने के लिए भी लोग कलकत्ता गेट का इस्तेमाल किया करते थे।
जब पहली बार गेट के ऊपर से गुजरी थी ट्रेन
इतिहासकारों के मुताबिक, अंग्रेजों की योजना कलकत्ता स्थित हावड़ा को पंजाब से रेलमार्ग के लिए जरिये जोड़ने की थी। इस ट्रेन को मेरठ होते हुए जाना था, लेकिन अंग्रेज दिल्ली से ट्रेन गुजारने के लिए तैयार नहीं थे। हालांकि, पुरानी दिल्ली के व्यापारियों व कुछ रईसों ने इकट्ठा होकर अंग्रेजों पर दबाव बनाया।
उनका कहना था कि दिल्ली व्यापारिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। ऐसे में शहर को रेल सुविधा से दरकिनार नहीं किया जा सकता है। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के बोर्ड ऑफ कंट्रोल के अध्यक्ष चार्ल्स वुड ने ट्रेन को दिल्ली से गुजारने के लिए हां कर दी थी। वहीं, 1 जनवरी, 1867 की आधी रात को दिल्ली में इस गेट के ऊपर से ट्रेन गुजरी थी। यह वही समय था, जब दिल्ली मेंं पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन की नींव पड़ी थी।
1997 में बंद हुआ गेट
समय के साथ रास्ते बदलते गए और यह पुराना गेट बहुत ही कम उपयोगी रह गया। 1997 में लाल किला जाने के लिए नया रास्ता बना, तो यह गेट पूरी तरह से वीरान हो गया और बाद में इसे बंद कर दिया गया।
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