COP30 का मेजबान देश और विषय: COP30, संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के सदस्यों की 30वीं बैठक है। यह 10 से 21 नवंबर 2025 तक ब्राजील के बेलेम में आयोजित की जाएगी। इसमें लगभग 200 देश, वैज्ञानिक, बिजनेस लीडर और नागरिक समाज एक साथ आएंगे। वे जलवायु पर कार्रवाई के लिए बातचीत करेंगे, पेरिस समझौते के लक्ष्यों पर हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे और उत्सर्जन, अनुकूलन और जलवायु वित्त पर प्रयासों को तेज करेंगे।
कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज (COP) संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) की सालाना बैठक है। COP30 ऐसी 30वीं शिखर बैठक है। यह नवंबर 2025 में ब्राजील के बेलेम में आयोजित की जाएगी। यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है। ग्रीनहाउस गैसें किसी देश की सीमाओं को नहीं मानती हैं और हमें इससे निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। अगर इसमें प्रगति नहीं हुई, तो दुनिया को बढ़ते तापमान, खराब मौसम, समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी और कमजोर समुदायों को होने वाले नुकसान का खतरा है। COP30 होने तक, पहले की 29 COP बैठकों में जलवायु पर कार्रवाई के लिए वैश्विक लक्ष्य, दिशा-निर्देश और वादे तय किए जा चुके होंगे।
COP30 बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इसका 30वां संस्करण है। यह एक ऐसे समय पर हो रहा है, जब कई देशों को अपनी महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाना है और पहले की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करना है। इस लेख में, हम COP30 के विषय, मेजबान देश और अन्य जरूरी जानकारियों पर एक नजर डालेंगे, जो आपको पता होनी चाहिए।
"COP" का मतलब संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज से है। COP30 का मतलब UNFCCC के सदस्यों की 30वीं बैठक है। यहां "पार्टीज" वे लगभग 200 देश हैं, जिन्होंने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। आसान शब्दों में कहें तो, COP30 संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक जलवायु परिवर्तन पर बातचीत का 30वां सत्र है।
COP30 किस देश में आयोजित किया जाएगा?
इसका मेजबान देश ब्राजील है और यह बैठक बेलेम शहर में 10 से 21 नवंबर 2025 तक होगी। इसके मुख्य विषयों में से एक है अनुकूलन—यानी समुदायों, प्रकृति और अर्थव्यवस्थाओं को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए तैयार करना। मेजबान देश का लक्ष्य मौजूदा जलवायु प्रतिबद्धताओं को लागू करने, प्रकृति-आधारित समाधानों (खासकर जंगलों) और समावेशी वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना है।
COP30 के छह स्तंभ क्या हैं?
COP30 के "एक्शन एजेंडा" के तहत, आगे के काम के लिए छह स्तंभ बनाए गए हैं। ये इस प्रकार हैं:
1. मिटिगेशन (ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करना)
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का मतलब है कार्बन और अन्य गर्मी बढ़ाने वाली गैसों में कटौती करना, ताकि ग्रह कम गर्म हो। उदाहरण के लिए: कोई देश अपने बिजली संयंत्रों को कोयले से सौर और पवन ऊर्जा पर ले जाता है, ताकि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम किया जा सके और ग्लोबल वार्मिंग को धीमा किया जा सके।
2. अनुकूलन (जलवायु प्रभावों से निपटने की क्षमता बनाना)
क्षमता बनाने का मतलब है समुदायों, पारिस्थितिकी तंत्र और बुनियादी ढांचे को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जैसे तूफान और सूखे, का सामना करने के लिए तैयार करने में मदद करना। उदाहरण के लिए, कोई तटीय समुदाय तेज तूफानों और समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी का सामना करने के लिए बाढ़ से बचाव की व्यवस्था बनाता है और चेतावनी सिस्टम लगाता है।
3. वित्त (जलवायु कार्रवाई के लिए धन जुटाना)
धन जुटाने का मतलब है दुनियाभर में जलवायु समाधानों में मदद के लिए सरकारों, निजी क्षेत्र और अन्य स्रोतों से फंड सुरक्षित करना और उसे सही जगह लगाना। उदाहरण के लिए: एक बहुपक्षीय फंड विकासशील देशों को स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु-अनुकूल बुनियादी ढांचे में निवेश करने में मदद करने के लिए अनुदान और कम-ब्याज वाले लोन देता है।
4. टेक्नोलॉजी (नवाचार, स्वच्छ तकनीक का ट्रांसफर)
टेक्नोलॉजी का मतलब नए उपकरणों और स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों को विकसित और साझा करना है। इसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी शामिल है, ताकि सभी देश बेहतर जलवायु समाधान अपना सकें। उदाहरण के लिए: एक इनोवेशन प्रोग्राम, पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले बुनियादी ढांचे वाले देशों को इलेक्ट्रिक-वाहन टेक्नोलॉजी और बेहतर हीटिंग सिस्टम ट्रांसफर करने में मदद करता है।
5. क्षमता-निर्माण (संस्थानों, कौशल और स्थानीय लोगों को मजबूत बनाना)
क्षमता-निर्माण का मतलब है स्थानीय सरकारों, समुदायों और संगठनों को जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने के लिए जरूरी कौशल, संस्थान और सिस्टम बनाने में मदद करना। उदाहरण के लिए, गैर-सरकारी संगठन (NGOs) स्थानीय सरकारी कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग वर्कशॉप चलाते हैं, ताकि वे जलवायु-अनुकूलन योजनाओं को प्रभावी ढंग से डिजाइन और लागू कर सकें।
6. कार्यान्वयन के साधन
कार्यान्वयन के साधन, मिटिगेशन, अनुकूलन, वित्त, टेक्नोलॉजी और क्षमता-निर्माण को एक साथ जोड़ते हैं, ताकि प्रतिबद्धताएं असल दुनिया में बदलाव ला सकें। उदाहरण के लिए: ऊपर बताए गए सभी स्तंभ नीतियों, शासन और संस्थानों से जुड़े होते हैं, जो जलवायु प्रतिबद्धताओं को वास्तविक कार्रवाई में बदलते हैं।
COP30 कब और कहां होगा?
COP30 ब्राजील के बेलेम में आयोजित किया जाएगा। इसकी आधिकारिक तारीखें 10 से 21 नवंबर 2025 हैं। इसके अलावा, शुरुआत में (6-7 नवंबर) बेलेम में राष्ट्राध्यक्षों का एक शिखर सम्मेलन भी होगा। यह आयोजन स्थल अमेजन क्षेत्र में है, जो जंगलों और पारिस्थितिक मुद्दों के महत्व को दिखाता है।
COP30 आयोजित करने का एजेंडा क्या है?
इसका मुख्य एजेंडा देशों और अन्य पक्षों द्वारा जलवायु पर की जा रही कार्रवाई का आकलन करना और उसमें तेजी लाना है। मुख्य बिंदुओं में शामिल हैं:
पहले वैश्विक स्टॉकटेक (हम पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने से कितनी दूर हैं) की समीक्षा करना और उसे कार्रवाई में बदलना।
देशों को अपडेट की गई राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं (NDCs) के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें लागू करने के लिए वित्त और टेक्नोलॉजी जुटाना।
अनुकूलन, प्रकृति-आधारित समाधानों (खासकर जंगलों) और एक ऐसे न्यायसंगत बदलाव पर जोर देना, जिसमें कमजोर समुदाय भी शामिल हों।
छह-स्तंभों वाले ढांचे के तहत बहु-स्तरीय सहयोग (सरकारें + शहर + निजी क्षेत्र + नागरिक समाज) को संभव बनाना।
COP30 में भाग लेने वाले देशों की सूची
UNFCCC के लगभग सभी सदस्यों के COP30 में भाग लेने की उम्मीद है। दुनिया के ज्यादातर देश COP30 में हिस्सा लेने के योग्य हैं (संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के तहत लगभग 198 देश)। कुछ बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष बेलेम में होने वाले नेताओं के शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे, जो कि बड़े उत्सर्जक देशों के लिए एक असामान्य बात है। उनकी अनुपस्थिति से इस सम्मेलन की गति और परिणामों की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं।
प्रमुख वादों की उम्मीद
कुछ महत्वपूर्ण बातें, जिन पर नजर रहेगी:
जलवायु कार्रवाई के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से "बाकू से बेलेम तक" 1.3 ट्रिलियन डॉलर का एक क्लाइमेट-फाइनेंस रोडमैप।
पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत कार्बन-बाजार के नियमों को आगे बढ़ाना, जिसे कई देशों ने अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया है।
अनुकूलन और जलवायु प्रभावों का सामना करने की क्षमता पर और ज्यादा निर्णायक कार्रवाई की मांग की जाएगी। यह मांग खास तौर पर उन कम आय वाले देशों के लिए होगी, जो जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को झेल रहे हैं।
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