भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां का गौरवशाली और समृद्ध इतिहास इसे अन्य देशों से अलग बनाता है। अब जब बात इतिहास की हो रही है, तो यहां के प्राचीन किलों का जिक्र होना भी जरूरी है। क्योंकि, ये किले न सिर्फ भव्यता का प्रतीक हैं, बल्कि भारत की संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को भी दर्शाते हैं।
इन किलों के प्रवेश द्वार पर आज भी कई पुराने दरवाजे लगे हैं, जिन्होंने अपने सामने अलग-अलग राजा-महाराजाओं के शासन को देखा है। इस कड़ी में भारत में एक किला ऐसा भी है, जहां भारत का सबसे पुराना दरवाजा लगा हुआ और आज भी उपयोग में है। कौन-सा है यह दरवाजा, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
भारत का सबसे पुराना दरवाजा कौन-सा है
भारत के सबसे पुराने दरवाजे की बात करें, तो यह अष्टधातु दरवाजा है। यह दरवाजा आज भी उपयोग में है, जो कि राजस्थान के भरतपुर में लोहागढ़ दुर्ग में लगा हुआ है।
कभी चितौड़गढ़ किले का था हिस्सा
यह दरवाजा मुख्य रूप से चितौड़गढ़ दुर्ग के प्रवेश द्वार पर लगा हुआ था। हालांकि, अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 में इस दरवाजे को लूट लिया और इसे दिल्ली ले आया। बाद में इस दरवाजे को दिल्ली के लाल किले में लगा दिया गया।
लाल किले से भरतपुर पहुंचा दरवाजा
यह दरवाजा काफी समय तक लाल किले में लगा रहा, लेकिन 1765 में भरतपुर के जाट महाराजा जवाहर सिंह द्वारा इस दरवाजे को जीतकर भरतपुर लाया गया और इसे भरतपुर किले के प्रवेश द्वार पर लगाया गया। यह दरवाजा भरतपुर किले के अजेय का प्रतीक रहा है, जिसे कोई भी नहीं जीत पाया।
अष्टधातु से बना है यह दरवाजा
भारत का यह प्रसिद्ध दरवाजा आठ धातुओं से बना हुआ है, जिसमें लोहा, सोना, चांदी, तांबा, टिन, जस्ता, सीसा और पारा लगा हुआ है। इससे दरवाजे को बहुत मजबूती के साथ बनाया गया था। वहीं, यह दरवाजा अष्टधातुओं की वजह से मूल्यवान दरवाजों में शामिल था। आज भी इस दरवाजे को देखने के लिए भरतपुर के लोहागढ़ में पर्यटक पहुंचते हैं।
अलाई दरवाजा भी है प्रमुख
कुछ स्रोतों में अलाई दरवाजे को सबसे पुराना दरवाजा माना जाता है। इस दरवाजे का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 1311 में कराया गया था, जो कि कुतुब मीनार का प्रवेश द्वार हुआ करता था। वहीं, कुछ स्रोतों में दिल्ली के लाल कोट किले के दरवाजों का भी जिक्र मिलता है। यह पहली दिल्ली थी, जिसे राजा अनंगपाल सिंह तोमर द्वारा बसाया गया था।
हालांकि, अब इसके कुछ ही अवशेष बाकी हैं। ऐसे में यह दरवाजा उपयोग में नहीं है। यही वजह है कि अष्टधातु दरवाजे को सबसे पुराना माना जाता है।
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