नेपाल का भूगोल उसे दुनिया के अन्य देशों से अलग खड़ा करता है। यह देश सीधे हिमालयी पर्वत-श्रृंखला के केंद्र में स्थित है, जहाँ उत्तर से दक्षिण तक ऊँचे, दुर्गम और बर्फ़ से ढके पहाड़ फैले हुए हैं। यही वजह है कि नेपाल को अक्सर “Land of the Himalayas” कहा जाता है, क्योंकि यहां पहाड़ केवल सीमाएँ नहीं, बल्कि पूरे देश की संरचना तय करते हैं।
दुनिया की सबसे ऊँची चोटियों का घर
नेपाल की सबसे बड़ी पहचान उसकी पर्वत चोटियाँ हैं। विश्व की 14 आठ-हज़ारी चोटियों में से 8 नेपाल में या उसकी सीमा पर स्थित हैं। माउंट एवरेस्ट (सगरमाथा), ल्होत्से, मकालू, धौलागिरि, मनास्लु और अन्नपूर्णा जैसी चोटियाँ नेपाल को वैश्विक पर्वत मानचित्र पर शीर्ष स्थान दिलाती हैं। माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई 8,848 मीटर है, जो नेपाल को दुनिया की सबसे ऊँची छत बनाती है।
हिमालय के हृदय में बसा देश
नेपाल में पहाड़ केवल नेचुरल स्ट्रक्चर नहीं, बल्कि आस्था के केंद्र हैं। हिंदू और बौद्ध परंपराओं में पर्वतों को देवताओं का निवास माना गया है। कंचनजंघा जैसे पर्वत स्थानीय समुदायों के लिए पवित्र हैं, जिन्हें “Five Treasures of Snow” जैसी आध्यात्मिक उपाधियाँ दी जाती हैं। मठ, स्तूप और पर्वतीय देवस्थल नेपाल की सांस्कृतिक पहचान को गहराई देते हैं।
रोमांच और पर्यटन की वैश्विक राजधानी
नेपाल आज दुनिया के सबसे बड़े ट्रेकिंग और पर्वतारोहण केंद्रों में से एक है। एवरेस्ट बेस कैंप, अन्नपूर्णा बेस कैंप, लांगटांग और मनास्लु जैसे ट्रेक रूट्स हर साल लाखों अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। बर्फीली चोटियाँ, गहरी घाटियाँ, झीलें और झरने नेपाल को एडवेंचर टूरिज्म का हब बनाते हैं।
पहाड़ों पर टिकी अर्थव्यवस्था
नेपाल की अर्थव्यवस्था में पर्वतों की भूमिका रीढ़ की हड्डी जैसी है। पर्यटन, पर्वतारोहण, स्थानीय हस्तशिल्प और पर्वतीय कृषि लाखों लोगों की आजीविका से जुड़े हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद पहाड़ों ने नेपाल को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से स्थापित किया है।
जल सुरक्षा और पर्यावरण का प्रहरी
नेपाल के हिमालयी क्षेत्र से निकलने वाली नदियाँ जैसे गंगा, कोसी और गंडक भारत और दक्षिण एशिया की करोड़ों आबादी को पानी उपलब्ध कराती हैं। इस लिहाज से नेपाल के पहाड़ सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की जल सुरक्षा और जलवायु संतुलन से जुड़े हुए हैं। हाल ही में अरावली जैसे पर्वतों पर पर्यावरणीय बहसें यह भी याद दिलाती हैं कि पहाड़ किसी भी सभ्यता के लिए कितने अनिवार्य हैं।
क्षेत्रफल और आबादी में छोटा होने के बावजूद नेपाल की लगभग 75 प्रतिशत भूमि पहाड़ी और हिमालयी है। यही कारण है कि कई भूगोलवेत्ता नेपाल को “दुनिया की पर्वतीय राजधानी” भी कहते हैं, एक ऐसा देश, जहाँ पहाड़ केवल भूगोल नहीं, बल्कि जीवन का आधार हैं।
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