Independence Day 2025: भारत का स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को बड़े गर्व और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, त्याग और साहस की याद दिलाता है, जिन्होंने देश को अंग्रेज़ी शासन से मुक्त कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह केवल एक राष्ट्रीय पर्व ही नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जब हम सभी भारतीय एकजुट होकर तिरंगे के सम्मान में खड़े होते हैं और देशप्रेम की भावना को दिल में संजोते हैं।
विद्यालयों में स्वतंत्रता दिवस विशेष उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जहां छात्र भाषण, नाटक, गीत और कविताओं के माध्यम से देश के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। कविताएं विशेष रूप से बच्चों के दिलों में देशभक्ति का जज़्बा भर देती हैं और उन्हें अपने देश के गौरवपूर्ण इतिहास से जोड़ती हैं।
यहां प्रस्तुत हैं प्रेरणादायक हिंदी कविताएं (Independence Day Poem Short and Long in Hindi) जो school Students स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पढ़ या सुन सकते हैं।
Independence Day 2025: कविता के माध्यम से देशभक्ति की शिक्षा
विद्यालयों में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कविता पाठ केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होता, बल्कि यह छात्रों के लिए एक अनूठा सीखने का माध्यम भी है। कविताएं शब्दों में भावनाओं की ऐसी शक्ति भर देती हैं, जो किताबों के पन्नों से कहीं आगे जाती है। जब बच्चे ‘मेरा तिरंगा’, ‘मेरा भारत महान’ या बलिदान की कहानियां कविताओं में सुनते और पढ़ते हैं, तो उनमें देश के प्रति अपनापन और जिम्मेदारी का भाव गहराई से अंकुरित होता है।
इन कविताओं के माध्यम से वे न केवल देश के इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को समझते हैं, बल्कि यह भी सीखते हैं कि एक अच्छे नागरिक के रूप में उनका कर्तव्य क्या है। इस तरह कविता पाठ छात्रों के मन में देशभक्ति के बीज बोने का एक जीवंत और प्रभावी तरीका बन जाता है।
Independence Day Short Poems and Shayri in Hindi
1. भले कच्ची उमर में ज़िंदगी की शाम आ जाए..
ये मुमकिन ही नहीं कि ख़ून पे इल्ज़ाम आ जाए..
हमारे गाँव में बहनें उसे राखी न बाँधेंगी,
पल्क के जंग से भाई अगर नाकाम आ जाए..
2. लहू और इश्क़ रंग दोनों का फीका हो नहीं सकता
मैं उसका हो चुका हूँ अब किसी का हो नहीं सकता
नयी ख़ुशबू तलाशूँ मैं कि उसकी ख़ुशबुएँ भूलूँ..?
किसी का होगा, ये मेरा तरीका हो नहीं सकता
3. सरहद पे गोलियों का जब डर टूट जाए, मेरी साँस
मुझे भेज देना यारो मेरी बूढ़ी माँ के पास
उसे गले लगाओ जैसे,
वो रोती रहे, तुम हँसना
मुझे जाने दो के मैं
तुम्हें फिर से कहूँ के चलो..
मेरे साथ भुला कर
बोलते चलना
देश के जज़्बा
और वो बात जो मैं कह ना सका,
बहुत दूर सही पर,
मेरे वतन को जाना है मुझे,
4. सरहद पे गोली खाकर जब टूट जाए मेरी साँस
मुझे भेज देना यारो मेरी बूढ़ी माँ के पास
5. सरसों से भरे खलिहान मेरे
जहाँ झूम के भंगड़ा पा न सका
आबाद रहे वो गाँव मेरा
जहाँ लौट के वापस जा न सका
ओ वतन वे मेरे वतन वे
6. ए मेरी ज़मीं
अफसोस नहीं
जो तेरे लिए सौ दर्द सहे
महफ़ूज़ रहे तेरी आन सदा
चाहे जान ये मेरी रहे न रहे
7.चिंगारी आज़ादी की सुलगी मेरे ज़ख्म में है
इंकलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में है
मौत जहाँ जन्नत हो ये बात मेरे वतन में है
क़ुर्बानी का जज़्बा ज़िंदा मेरे कफ़न में है।।
8.ये वक़्त बहुत ही नाज़ुक है
हम पर हमले दर हमले हैं
दुश्मन का दर्द यही तो है
हम हर हमले पर संभले हैं…।।
9. उनके हौसले का भुगतान क्या करेगा कोई
उनकी शहादत का कर्ज़ देश पर उधार है
आप और हम इसलिए खुशहाल है क्योंकि
सीमा पर सैनिक शहादत को तैयार है…
Independence Day Long Poems for Children in Hindi
1. दौलत ना अता करना मौला, शोहरत ना अता करना मौला
बस इतना अता करना चाहे जन्नत ना अता करना मौला
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
बस एक सदा ही सुनें सदा बर्फ़ीली मस्त हवाओं में
बस एक दुआ ही उठे सदा जलते-तपते सहराओं में
जीते-जी इसका मान रखें
मर कर मर्यादा याद रहे
हम रहें कभी ना रहें मगर
इसकी सज-धज आबाद रहे
जन-मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
गीता का ज्ञान सुने ना सुनें, इस धरती का यशगान सुनें
हम सबद-कीर्तन सुन ना सकें भारत मां का जयगान सुनें
परवरदिगार, मैं तेरे द्वार
पर ले पुकार ये आया हूं
चाहे अज़ान ना सुनें कान
पर जय-जय हिन्दुस्तान सुनें
जन-मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
2.मैं उस भारत से आता हूँ
जिसके होठों पर गंगा और
हाथों में तिरंगा है.
वो भारत जो कभी सत्यम शिवम सुंदरम,
कभी वन्दे मातरम् तो कभी
पंजाब सिंध गुजरात मराठा द्राविण उत्कल, बंगा है
मैं उस भारत से आता हूँ
जो ठुकराएँ हुए लोगो की शरण स्थली बन जाता है
और सात समुन्दर पार परदेशियों को भी
Sisters and Brothers कह कर बुलाता है
मैं उस भारत से आता हूँ
जिसने हितोपदेश और कर्म योग सिखाया
लेकिन कभी अपना-पराया नहीं सीख पाया
मैं उस भारत से आता हूँ
जो वीरता की वसुंधरा है
मैं उस भारत से आता हूँ
जो शांति का पहला शंखनाद
और मानवता का अंतिम आसरा है
अपना परिचय इसलिए दिया क्योंकि
प्रणाम करके परिचय देना
हम भारतीयों की परम्परा है||
स्वतंत्रता दिवस केवल एक तिथि नहीं, बल्कि यह हमारे इतिहास, संघर्ष और एकता का प्रतीक है। विद्यालयों में इन कविताओं का पाठ न केवल छात्रों को प्रेरित करता है, बल्कि उन्हें देश के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का एहसास भी कराता है। देशभक्ति की यह भावना ही हमें एक बेहतर भारत की ओर ले जाती है।
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